Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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लाखो यत्नो यदि जन करे तोय ना तेह छोडुं,
नित्ये धर्मप्रभु तुज कने भक्तिथी हाथ जोडुं.
१६. श्री शांति जिनस्तुति
जाण्या जाये शिशु सकळनां लक्षणो पारणाथी,
शांति कीधी पण प्रभु तमे सर्व आ लोकमांही;
षट् खंडो ने नव निधि तथा चौद रत्नो तजीने,
पाम्या छो जे परम पदने आपजो ते अमोने.
१७. श्री कुंथुजिनस्तुति
जेनी मूर्ति अमृत झरती धर्मनो बोध आपे,
जाणे मीठुं वचन वदती शोक संताप कापे;
जेनी सेवा प्रणयभरथी सर्व देवो करे छे,
ते श्री कुंथुजिनचरणमां चित्त मारुं ठरे छे.
१८. श्री अरजिनस्तुति
जे दुःखोना विषम गिरिओ, वज्रनी जेम भेदे,
भव्यात्मानी निबिड जडता, सूर्यनी जेम छेदे;
जेनी पासे तृण सम गणे स्वर्गने इन्द्र जेवा,
एवी सारी अरजिन मने आपजो आप सेवा.
१९. श्री मल्लिजिनस्तुति
तार्या भव्यो अति प्रभावे ज्ञानना दिव्य तेजे,
सर्वज्ञ छो ! सर्वदर्शी प्रभु ! त्रैलोक्यना नाथ गाजे;
६ ][ श्री जिनेन्द्र