Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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२३. श्री पार्श्वजिनस्तुति
धूणिमां बळतो दयानिधि तमे ज्ञाने करी सर्पने,
जाणी सर्व जनो समक्ष क्षणमां आपी महा मंत्रने;
कीधो श्री धरणेन्द्र ने भव थकी तार्या घणा भव्यने,
आपो पार्श्वजिनेन्द्र नाशरहिता सेवा तमारी मने.
२४. श्री वीरजिनस्तुति
श्री सिद्धार्थ नरेन्द्रना कुलनभे भानु समा छो विभु,
मारा चित्तचकोरने जिन तमे छो पूर्ण चंद्र प्रभु;
पाम्यो छुं पशुता तजी सुरपणुं हुं आपना धर्मथी,
रक्षो श्री महावीरदेव मुजने पापी महा कर्मथी.
जिनेन्द्रजन्मकल्याणक
(ढाळ)
जिन रयणीजी दश दिशि उज्ज्वळता धरे,
शुभ लगनेजी ज्योतिष चक्र ते संचरे;
जिन जनम्याजी जेणे अवसर माता धरे,
तेणे अवसरजी इंद्रासन पण थरहरे.
(तोटक)
थरहरे आसन इंद्र चिंते, कोण अवसर ए बन्यो?
जिन जन्मउत्सव काल जाणी, अति ही आनंद उपन्यो;
८ ][ श्री जिनेन्द्र