Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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निज सिद्धि संपत्ति हेतु जिनवर, जाणी भक्ते उमह्यो,
विकसंत वदन प्रमोद वधते, देव नायक गहगह्यो. १.
(ढाळ)
तव सुरपतिजी घंटानाद करावए,
सुरलोकेजी घोषणा एह देवरावए;
नर क्षेत्रेजी जिनवर जन्म हुवो अछे,
तसु भक्तेजी सुरपति मंदरगिरि गछे.
(तोटक)
गच्छति मंदर शिखर उपर, भुवन जीवन जिन तणो,
जिन जन्म-उत्सव करण कारण, आवजो सवि सुरगणो;
तुम शुद्ध समकित थाशे निर्मल, देवाधिदेव निहाळतां,
आपणां पातिक सर्व जाशे, नाथ चरण पखालतां.
(ढाळ)
एम सांभळीजी, सुरवर कोडी बहु मली,
जिन वंदनजी, मंदरगिरि सामा चली;
सोहमपतिजी, जिन-जननी घर आविया,
जिन-माताजी, वंदी स्वामी वधाविया.
(तोटक)
वधाविया जिन हर्ष बहु ले, धन्य हुं कृतपुण्यए,
त्रैलोक्य नायक देव दीठो, मुज समो कोण अन्य ए;
स्तवन मंजरी ][ ९