Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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हे जगतजननी पुत्र तुमचो, मेरु मंजन वर करी,
उत्संग तुमचे वळीय थापीश आतमा पुण्ये भरी. ३.
(ढाळ)
सुरनायकजी, जिन निज करकमले ठव्या,
सहस्र नयणेजी, अतिशय महिमाए नीरख्या;
नाटक विधिजी, तव बहु बहु आगळ वहे,
सुरकोडीजी जिन दर्शने उम्महे.
(तोटक)
सुर कोडाकोडी नाचती वळी, नाथ शचिगण गावती,
अपसरा कोडी हाथ जोडी, हाव भाव देखावती;
ज्यो ज्यो तुं जिनराज जयगुरु एम दे आशीष ए,
अम प्राण शरण आधार जीवन, एक तुं जगदीश ए. ४.
(ढाळ)
सुर गिरिवरजी, पांडुक वनमें चिहुं दिशे,
गिरि शिला परजी, सिंहासन सासय वसे;
तिहां आणीजी, शक्रे जिन खोळे ग्रह्या,
सो इंद्रजी तिहां सुरपति आवी रह्या.
(तोटक)
आविया सुरपति सर्व भक्ते, कळश श्रेणी बनावए,
सिद्धार्थ पमुह तीर्थ औषधि, सर्व वस्तु अणावए;
१० ][ श्री जिनेन्द्र