आतम-रामी शिवपद-गामी (२)
हरता भव भव पा.....पने जय० १
सुख करनारा भविजन प्यारा (२)
जगपति त्रिभुवन ना...थने जय० २
अंतरजामी निरमळनामी (२)
जगतगुरु जग ना...थने जय० ३
कुमत-हरता सुमत-दाता (२)
भवतारक भगवं.....तने जय० ४
उपशमरसधर मूरति सुंदर (२)
सेवक पूजे अरिहं....तने जय० ५
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श्री सीमंधर जिन – स्तवन
(महावीर तमारी मनोहर मूरति – ए देशी)
श्री सीमंधरप्रभुनी मनहर मूरति,
देखी मन हरखाय (२) टेक
पूर्ण रवि सम कांति सोहे, देखी भविजननां मन मोहे;
लक्ष्मीथी उत्तम सोहेरे, हुं लागुं लळी लळी पाय. श्री० १
चंद्र निर्मळ कीरति तारी, जगत-जीवना छो उपकारी;
सर्व प्राणी हितकारी रे, हुं लागुं लळी लळी पाय. श्री० २
६८ ][ श्री जिनेन्द्र