Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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इसी धरममें मानतुंगने, जेलका फाटक खोला...मेरा०
इसी धरममें अकलंकदेवने, बौद्धोंको झकझोला....मेरा०
इसी धरममें टोडरमलने, प्राण तजे विन बोला....मेरा०
इसी धरममें कहानगुरुने, अध्यातमरस घोला...मेरा०
इसी धरममें कहानगुरुने, कुंदामृतरस घोला....मेरा०
श्री सीमंधर जिनस्तवन
(प्रभुजी तुमने तेज दिखायाए राग)
सीमंधरजिन! हुं शरण तमारे,
तुम विण भवदधि कोण उतारे..(टेक)
भूल्यो भरते केम थाउं किनारे;
कष्ट विकट आ कोण निवारे;
तुं सुखकारे इष्ट हमारे,
जीवननैया तार हमारी, जीवन० सी०
शांतस्वरूपी आनंदकारे,
तुज विण देव नहि छे मारे;
तुं सुखकारे इष्ट हमारे;
जीवननैया तार हमारी; जीवन० सी०
करुणासागर! आत्म-आधारे,
सेवकनां तुम दुःख निवारे;
स्तवन मंजरी ][ ७३