Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्री सीमंधर जिनस्तवन
(रागधनाश्री, देशीअखियनमें अविकारा)
मूरती मोहनगारी सीमंधरजिन, मूरती मोहनगारी. (टेक)
अनंत ज्ञान ने दर्शने भरिया, लागुं हुं लळी लळी पाय,
अनंत चारित्रगुणना भंडार, लागुं हुं लळी लळी पाय...सी०
अनंतबली ने आतमरामी, लागुं हुं लळी लळी पाय;
जगत-जीवना छो उपकारी, लागुं हुं लळी लळी पाय...सी०
रूप मनोहर, वंदित सुरनर, लागुं हुं लळी लळी पाय;
सकळ दोषथी रहित जिनवर, लागुं हुं लळी लळी पाय...सी०
सर्व गुणे संपन्न वीतराग लागुं हुं लळी लळी पाय;
शुद्ध धर्मनो प्रचार करनार, लागुं लळी लळी पाय....सी०
शशि शीतळ सम शांतिविधाता, लागुं लळी लळी पाय;
तुज सेवकनां दुःखो हरनारा, लागुं लळी लळी पाय.....सी०
श्री पद्मनाथ जिनस्तवन
(रागमेरी अरजी उपर)
शांत मूर्ति पद्म प्रभु नमन करुं,
देव कृपानिधि मुज सुख करुं....(टेक)
तुंही राजा तुंही पिता, तुंही तारणहार छे;
तुंही भ्राता तुंही पालक, तुंही रक्षणहार छे;
तुंही नाम रटण दिनरात करुं.....शांत० १
७८ ][ श्री जिनेन्द्र