Swami Kartikeyanupreksha-Gujarati (Devanagari transliteration).

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अमृतरसना अखंड झरणानी जेम नीतरी रह्यो छे. भवभीरु मुमुक्षु आत्माओने आत्यन्तिक भवनिवृत्तिनो सन्मार्ग सरळ अने सुगम भाषामां चींधतो होवाथी, आ ग्रंथ खरेखर अति-उपयोगी छे. तेथी घणा समयथी अप्राप्य एवा आ गुजराती भाषानुवादनी त्रीजी आवृत्ति श्री दिगंबर जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट, सोनगढ तरफथी प्रकाशित करवामां आवी छे.

‘स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा’ना आ पावन प्रकाशन द्वारा मुमुक्षुजीवो तेमां कहेलां ऊंडा तात्त्विक भावोने समजी पोतानो ज्ञानवैराग्यमय साधनापथ उज्ज्वळ करे ए ज मंगळ भावना. वि. सं. २०६३, श्रावण वद २, (बहेनश्री चंपाबेननी ९४मी जन्मजयन्ती)

साहित्य प्रकाशनसमिति
श्री दि. जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट,
सोनगढ–364250