Swami Kartikeyanupreksha-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 34 of 297
PDF/HTML Page 58 of 321

 

३४ ]

[ स्वामिकार्त्तिकेयानुप्रेक्षा

५. मारो भरथार धनदेव छे ते मारी माता वसंततिलकानो पण भरथार छे, तेथी धनदेव मारो पिता पण थयो अने तेनो तुं नानो भाई छे, माटे तुं मारो काको पण छे.

६. हुं वसंततिलकानी शोक्य थई, तेथी धनदेव मारो शोकपुत्र थयो अने तेनो तुं पुत्र छे माटे तुं पौत्र पण छे.

ए प्रमाणे वरुणने ते छ प्रकारना संबंध कहेती हती. त्यां पेली वसंततिलका आवी अने आ कमळाने कहेवा लागी के तुं कोण छे? के मारा पुत्रने आ प्रमाणे छ प्रकारथी तारो संबंध संभळावे छे? त्यारे कमळा बोली के तारी साथे मारे पण छ प्रकारथी संबंध छे. ते तुं पण सांभळ!

१. प्रथम तो तुं मारी माता छे, कारण के हुं धनदेवनी साथे तारा ज उदरथी युगलरूपे ऊपजी छुं.

२. धनदेव मारो भाई छे, तेनी तुं स्त्री छे, माटे तुं मारी भोजाई (भाभी) पण छे.

३. मारो भरथार धनदेव छे, तेनी तुं पण स्त्री छे, माटे तुं मारी शोक पण छे.

४. तुं मारी माता छे अने तारो भरथार धनदेव पण थयो एटले धनदेव मारो पिता थयो, तेनी तुं माता छे, माटे तुं मारी दादी पण छे.

५. धनदेव तारो पुत्र छे अने ते मारो पण शोकपुत्र छे, तेनी तुं स्त्री थई, माटे तुं मारी पुत्रवधू पण छे.

६. हुं धनदेवनी स्त्री छुं अने तुं धनदेवनी माता छे, माटे तुं मारी सासु पण छे

आ प्रमाणे वसंततिलका वेश्या पोताना छ प्रकारना संबंध सांभळीने चिंतामां विचारग्रस्त हती त्यां ज पेलो धनदेव आव्यो. तेने