Swami Kartikeyanupreksha-Gujarati (Devanagari transliteration).

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संसारानुप्रेक्षा ]

[ ३३

आ उज्जयिनी नगरीमां एक सोमशर्मा नामनो ब्राह्मण हतो. तेने काश्यपी नामनी स्त्री हती. तेमने अग्निभूत अने सोमभूत नामना बे पुत्र थया. ए बंने क्यांकथी भणीने आवता हता. त्यां मार्गमां कोई जिनदत्त मुनिने तेमनी माता, जे जिनमती आर्या हती ते, क्षेमकुशळ पूछती देखी तथा त्यां बीजा कोई जिनभद्रमुनि हता तेमने सुभद्रा नामनी आर्या, के जे तेमना पुत्रनी वहु हती ते, क्षेमकुशळ पूछती देखी, ए द्रश्य आ बंने भाईओए दीठुं अने त्यां हास्य कर्युं के

‘जुओ तो खरा! तरुणने तो वृद्ध स्त्री अने वृद्धने

तरुण स्त्री, अहो विधाताए खरी विपरीतता रची छे!’ उपार्जित कर्म अनुसार सोमशर्मा तो मरीने वसंततिलका वेश्या थयो तथा ए हास्यना पापथी अग्निभूत अने सोमभूत बंने भाई मरीने आ वसंततिलकाने पुत्र-पुत्रीरूप जोडकां थयां अने तेमनुं कमळा अने धनदेव नाम राख्युं. वळी पेली काश्यपी ब्राह्मणी हती ते (मरीने) वसंततिलका अने धनदेवना संयोगथी वरुण नामनो पुत्र थई. ए प्रमाणे आ सर्व संबंध सांभळीने कमळाने जातिस्मरणज्ञान थयुं, त्यारे ते उज्जयिनी नगरीमां वसंततिलकाने घरे गई. त्यां पेलो वसंततिलकानो पुत्र वरुण पारणामां झूलतो हतो. तेने ते कहेवा लागी के हे बाळक! तारी साथे मारा छ प्रकारना संबंध छे, ते तुं सांभळ.

१. मारो भरथार जे धनदेव तेना संयोगथी तुं जन्म्यो माटे मारो पण तुं (शोक) पुत्र छे.

२. धनदेव मारो सगो भाई छे तेनो तुं पुत्र छे, माटे तुं मारो भत्रीजो पण छे.

३. तारी माता वसंततिलका छे ते ज मारी पण माता छे, माटे तुं मारो भाई पण छे.

४. तुं मारा भरथार धनदेवनो नानो भाई छे, तेथी तुं मारो दियर पण छे.