Tattvagyan Tarangini-Gujarati (Devanagari transliteration).

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९६ ][ तत्त्वज्ञान-तरंगिणी
व्यसनरंग वाणिज्य कृषि के कूवा वाव तलावेजी,
पशु यश रक्षमां राच्या त्यां चिद्रूपे चित्त न लावेजी. २२.
अर्थ :सुगंधी पदार्थो आदिमां, भाई, पुत्र, पुत्री, स्त्री, पिता
तथा मातामां, गाममां, घरमां, इन्द्रियना विषयभोगमां, पर्वत, नगर,
पक्षीमां, वाहनमां, राज्यना काममां, खानपान आदि पदार्थोमां,
शरीरमां, वन आदिमां, व्यसन, खेती आदिमां, कूवा
वावतळावमां,
धंधामां, दलालीमां, यशमां अने पशुना समूहमां जीवो राची रहेला
देखाय छे पण शुद्ध आत्मस्वरूपमां रक्त देखाता नथी. २२.