साम्यारूढस्तत्त्ववेदी तपस्वी
सिद्धयै स्यात्स्वे चित्स्वरूपेऽभिरक्तः
छे, आत्मज्ञानी, तपस्वी, मौनी, कर्मोना समूहरूप हाथीओने हणवाने
सिंह समान छे, भेदज्ञानी अने पोताना आत्मस्वरूपमां तल्लीन छे, ते
ज मोक्ष मेळववाने योग्य थाय छे.
Tattvagyan Tarangini-Gujarati (Devanagari transliteration).
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