तरंगिणी’नो गुजराती भाषानुवाद संस्था द्वारा प्रथम वार प्रकाशित करतां अति
हर्ष थाय छे.
आ गद्यानुवाद, ‘श्रीमद् राजचंद्र आश्रम-आगास’ द्वारा प्रकाशित
तत्त्वज्ञान-तरंगिणीना आधारे वढवाणनिवासी ब्र. श्री व्रजलालभाइ
गिरघरलाल शाहे करी आयो छे तथा आ संस्करणमां तत्त्वज्ञान-तरंगिणीनो
स्व. श्री रावजीभाइ छगनभाइ देसाइ रचित गुजराती पद्यानुवाद पण
आपवामां आव्यो छे. तेथी गद्यानुवाद अने पद्यानुवाद करनार ते बंने
महानुभावोनो तथा उक्त प्रकाशक संस्थानो अत्रे आभार मानीए छीए.
आ पुस्तकना प्रकाशननी योजना तथा प्रूफसंशोधनकार्य श्री
पवनकुमारजी जैने, तथा सुंदर मुद्रणकार्य ‘कहान मुद्रणालय’ना मालिक श्री
ज्ञानचंदजी जैने करी आयुं छे तेथी ते बंनेनो पण आभार मानीए छीए.
ट्रस्टना आ अभिनव प्रकाशन द्वारा मुमुक्षुसमाज अवश्य लाभान्वित
थाय ए ज आजना प्रकाशन-अवसरे मंगळ भावना.
वि.सं. २०४६, मागशर वद ८,
(श्री कुंदकुंद-आचार्यपददिन)
‘कहानगुरु-जन्मशताब्दी’ वर्ष
साहित्यप्रकाशनसमिति
श्री दि. जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट
सोनगढ- (सौराष्ट्र)
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