Tattvagyan Tarangini-Gujarati (Devanagari transliteration).

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अध्याय-८ ][ ७३
अर्थ :जेम गरुड पासे आवी पहोंचतां सर्पो चंदनवृक्षने
छोडीने जतां रहे छे तेम भेदज्ञाननी प्राप्त थतां देह, कर्म आत्माने
छोडीने दूर थई जाय छे. २१.
भेदज्ञानबलात् शुद्धचिद्रूपं प्राप्य केवली
भवेद्देवाधिदेवोऽपि तीर्थकर्त्ता जिनेश्वरः ।।२२।।
भेद ज्ञाननारे बलथी पामीने, केवली चिद्रूप शुद्ध,
तीर्थंकर जिनेन्द्र बने महा, देव देवोना प्रसिद्ध.
भेदविज्ञाने रे चिद्रूप सेवीए. २२.
अर्थ :भेदज्ञानना बळथी जीव शुद्ध चिद्रूपने पामीने
केवळज्ञानी, तीर्थंकर, जिनेश्वर अने देवाधिदेव पण थाय छे. २२.