Tattvagyan Tarangini-Gujarati (Devanagari transliteration).

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९० ][ तत्त्वज्ञान-तरंगिणी
घाणा दीसे निःसंगी तपस्वी पण को विरल विलीनाजी,
राग-द्वेष विमोह वर्जने, निज चिद्रूप तल्लीनाजी. २.
अर्थ :जेओ देव मंदिर, प्रतिमा, दान, उत्सव, तीर्थयात्रा
आदि कार्योमां प्रवीण छे, अनेक शास्त्रोना जाणकार छे, परिषह सहन
करवामां समर्थ छे, परोपकारना काममां रत छे, परिग्रह रहित छे अने
तपस्वीओ पण छे एवा घणा छे अने जे राग-द्वेष-मोहने तजवामां
कुशळ थयेला तेम ज आत्मतत्त्वमां लीन ते दुर्लभ छे. २.
गणकचिकित्सकतार्किकपौराणिकवास्तु शब्दशास्त्रज्ञाः
संगीतादिषु निपुणाः सुलभा न हि तत्त्ववेत्तारः ।।।।
सुरूपबललावण्यधनापत्यगुणान्विताः
गांभीर्यधैर्यधौरेयाः संत्यसंख्या न चिद्रताः ।।।।
ज्योतिषी, वैद्यक, न्याय, पुराणो, शब्दशास्त्र विख्याताजी,
संगीत के विज्ञान निपुण बहु, विरल तत्त्वना ज्ञाताजी. ३.
सुंदर रुप लावण्य कनक बल अपत्य गुणगणयुकताजी,
धाीर वीर गंभीर घाणाये, पण नहि चिद्रूप रकताजी. ४.
अर्थ :गणितशास्त्री, ज्योतिषी, वैद्य, नैयायिक, पुराणोना
ज्ञाता, वास्तुशास्त्रना ज्ञाता (इजनेर), व्याकरण शास्त्रना जाणनार,
संगीत आदिमां निपुण मळवा सहेला छे, परंतु तत्त्वने जाणनारा मळवा
सहेला नथी. ३.
सारुं रूप, बळ, लावण्य, धन, संतान, गुणादिथी युक्त, गांभीर्य
अने धैर्यना धारक, असंख्य छे पण आत्मस्वरूपमां रक्त घणा
नथी. ४.
जलद्यूतवनस्त्रीवियुद्धगोलकगीतिषु
क्रीडंतोऽत्र विलोक्यंते घनाः कोऽपि चिदात्मनि ।।।।