Atmadharma magazine - Ank 001
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 5 of 13

background image
: ४: आत्मधर्म २००० : मागशर :
निवेदन
परमपूज्य सद्गुरु देव सत्पुरुष श्री कानजी स्वामीए संवत् १९९० ना चतुर्मासमां राजकोट सदर मध्ये श्री
समयसार (हिन्दी) नुं व्याख्यान शरु कर्युं हतुं. अने त्यारथी समाजने अध्यात्मवृत्ति जागृत थवा लागी. तेओश्रीए
९९ गाथाओ तेमनी मधुर स्पष्ट भाषामां समजावीने तेना अतिगहन आशयो प्रगट कर्या हता. चातुर्मास पूरा थये
तेओश्री जामनगर पधार्या अने त्यां पण ते ज शास्त्रना व्याख्याननो प्रवाह चालु रह्यो हतो.
जामनगरथी विहार करी तेओ श्री क्रमे क्रमे सोनगढ पधार्या, अने तेमनुं निवास स्थान मोटे भागे त्यां ज
होई ते क्रम चालु राख्यो. सं. १९९५ तथा १९९९ मां तेओश्रीए राजकोटना श्रावकोनां आग्रहथी चोमासु त्यां
गाळवानी विनति स्वीकारी, अने तेओश्री हाल राजकोट सदरमां बिराजे छे.
संवत् १९९४ मां सोनगढमां श्री जैन स्वाध्यायमंदिर खुल्लुं मूकवामां आव्युं त्यार पछी त्यां एक देरासर तथा
समोसरण अने अतिथिओ माटे श्री खुशालजैन अतिथिगृह बंधाववामां आव्यां छे. तथा संवत् १९९८मां श्री
सनातन जैन ब्रह्मचर्याश्रम स्थापन करवामां आव्युं छे. तेमां ब्रह्मचारीओने जैन शास्त्रोनो अभ्यास नियमित रीते
कराववामां आवे छे. जेनो अभ्यासक्रम त्रण वर्षनो राखेल छे.
संवत् ९६–९७ मां उनाळानी रजाओमां एक मास माटे धार्मिक वर्गो खोलवामां आव्या हता. ते वखते
लगभग ८० विद्यार्थीओए भाग लीधो हतो. अने समाजनी जागृत थती आध्यात्मवृत्ति पोषाय ए माटे जुदा जुदा
प्रकाशनो आ संस्था तरफथी प्रगट करवामां आवेल छे. जेनी टूंकामां विगत नीचे प्रमाणे छे.
(१) श्रीमान हिंमतलाल जेठालाल शाहे अनुवाद करीने तैयार करी आपेल श्री गुजराती समयसारनी नकल
२००० छपाववामां आवेल ते प्रसिद्ध थतां पहेलांं तेनो मोटो भाग खपी गयो हतो. परंतु मुमुक्षु भाई बहेनोने लाभ
मळे ते माटे जे भाईओए वधारे नकलो लीधी हती ते तेमणे संस्थाने भेट आपी तेथी तेनो लाभ समाजना घणा
मुमुक्षु भाई बहेनोए उठाव्यो. ए प्रमाणे बे हजार नकलो छुटी छुटी वेचाई गई जेनी ५० नकल हाल बाकी छे. जेथी
कागळना भाव घटता तेमज देशनी स्थिति सुधरता संस्कृत टीकासहित तेनी बीजी आवृत्ति प्रगट करवानो विचार छे.
आ उपरांत आ संस्था तरफथी नीचेना पुस्तक प्रगट थया अने वेचाया छे.
श्री समयसारनुं हरिगीत. १००० पहेली आवृत्ति खपी गई.
श्री समयसारनुं हरिगीत. २००० बीजी आवृत्ति १००० नकल खपी गई.
श्री समयसारनी असल गाथा हरिगीत तथा अर्थ सहितनो गुटको जेनी बे आवृत्ति छपाई तेनी पेली
आवृत्तिनी १००० नकल खपी गई. बीजी आवृत्तिनी २००० नकलमांथी एक हजार वेचाई गई.
आत्मलक्ष्मी नकल १००० खपी गई. आत्मप्रभा नकल १००० खपी गई.
सर्व सामान्य प्रतिक्रमण १००० छपाई. ५०० खपी गई. अनुभव प्रकाश १००० छपाई प०० खपी गई.
आत्मसिद्धि उपरना पूज्य कानजी स्वामीना प्रवचनोनी पहेली आवृत्तिनी एक हजार नकल खपी गई. बीजी
आवृत्ति छपाय छे. जे लगभग दोढेक मांसमां प्रगट थशे.
आत्मसिद्धि नानी डायरीनां आकारनी ३००० स्वाध्याय माटे मुमुक्षु भाई बहेनोने भेट आपवामां आवेल छे.
सिद्धांत प्रवेशिकानी लगभग ९०० नकल खपी गई छे. ते सिवाय बीजा पुस्तको पण प्रसिद्ध थया छे. अने
तेनो मोटो भाग खपी गयो छे.
आ उपरांत हिन्दी समयसार, हिन्दी प्रवचनसार, हिन्दी पंचास्तिकाय, हिन्दी पद्यानंदी, नियमसार, पंचाध्याय,
अष्टपाहुड, सर्वार्थ सिद्धि, हिन्दी समयसार नाटक, समयसार कळशा, अर्थ प्रकाशिका राजवार्तिक द्रव्य संग्रह तेमज गुजराती
श्रीमद् राजचंद्रना पुस्तको तथा कलोलथी प्रगट थयेल श्री मोक्षमार्ग प्रकाशक वगेरे संख्याबंध पुस्तको अहींथी प्रचार पाम्या छे.
ए रीते गुजरात अने काठियावाडमां अध्यात्मरसमां समाज मोटा प्रमाणमां रस लई रहेल छे ते सिद्ध थाय छे.
कुलधर्मना भेद रहित घणा मुमुक्षोओ आ प्रवृत्तिमां रस लई रह्या छे. अने जैन धर्म ए कोई वाडो के संप्रदाय नथी,
पण आत्मानुं ज स्वरूप छे. अने ते एक सायन्स (विज्ञान) छे एम तेमां रस लेनारा भाई–बहेनोने जणावा लाग्युं छे.
घणा मुमुक्षु भाई बहेनोनी मागणी एवी छे के, हरेक वखते तेओ पू. गुरुदेव बिराजता होय त्यां आवी तेमनी
अमृत वाणीनो लाभ लई शके नहि, तेथी अध्यात्मने लगता विषयोने अनुसरतुं एक पत्र होय तो तेमनी जिज्ञासाने
विशेष पोषण मळे. ए मागणी योग्य जणातां आ मासिक पत्र ‘आत्मधर्म’ शरू करवामां आवेल छे.
आ पत्रमां आधारभूत शास्त्रोमांथी समाजनी धर्म विषयक जिज्ञासा वधे एवा लेखो आपवामां आवशे, अने
ते उपरांत बीजा कोई लेखोप्रसिद्ध थशे तो ते लेखो वीतरागे प्ररूपेल भावोने अनुसरीने ज होवानी खातरी थया पछी
ज प्रसिद्ध करवामां आवशे. तेमज पूज्य महाराजश्रीनी प्रवृत्ति अने आ संस्थाने अंगे चालती बीजी प्रवत्तिओना
समाचार आपवामां आवशे. राजकोट रामजी माणेकचंद दोशी २९–११–४३ प्रमुख
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ