(virtue or good
deeds)and papa
(evil or bed deeds)
as equal, such a
one being under
Moha (ignorance or
illusion) will wander
in the samsara for a
long time and
remain unhappy.
Parmatma Prakash
छ हों दरबमें सार बतायो, आतम आनंद कंदा
ताको अनुभव नितप्रति करते, नासे सब दुःख दंदा. ,, २
देत धरम उपदेश भविक प्रति, ईच्छा नाहिं करंदा;
रागरोष मद मोह नहीं, नहीं क्रोध लोभ छल छंदा. ,, ३
जाको जस कहि शके न कयों ही, ईन्द्र फनिंद्र नरिंदा;
सुमरन भजनसार है द्यानत, अवर बात सब फंदा. ,, ४
पक्षीनी माफक आपना दर्शन माटे तलसे छे.
आप पुनमना चंद्र जेवा पूर्ण छो–१
नित्य करतां–सर्वे दुःख अने द्वंद्वनो नाश
थाय छे. ––२
आपने राग, द्वेष, मद अने मोह नथी; तेम
क्रोध, कपट, लोभ, छळ के स्वच्छंद नथी. –३
वात फंद छे, एम द्यानतरामजी कहे छे. –४