Atmadharma magazine - Ank 005
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

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चैत्र : २००० आत्मधर्म : ७३ :
त्रासनुं साम्राज्य
लेखक
रामजी माणेकचंद दोशी
पहेलो मित्र–भाई! आ जगतमां ज्यां जोउं त्यां त्रासनुं साम्राज्य चाली रह्युं देखाय छे–ए खरूं?
बीजो मित्र–तमे जे कहेवा मागता हो ते द्रष्टांत आपी स्पष्ट करो.
पहेलो मित्र–जुओ जगतमां प्रजाने राज्यनो त्रास लागे छे, मजूरोने मूडीवादीनो त्रास लागे छे,
राज्यने बळवाखोरोनो त्रास लागे छे, मनुष्यने शरीरना रोगनो, भूखमरानो, दुश्मनोने हिंसक प्राणीओनो
त्रास लागे छे, ए खरूं छे?
बीजो मित्र–हा, लोकमां जीवोने अनेक प्रकारना भयो होय छे, तमे कह्यां ते तो थोडा छे, तेनो विस्तार
करीए तो घणा थाय अने तेने टुंकमां कहीए तो तेना नीचे जणावेला सात प्रकार छे अने ते सात प्रकारना
भयमां जगतना तमाम भयो (त्रासो) नो समावेश थई जाय छे.
१–आ भवमां जीवन पर्यंत अनुकूळ सामग्री रहेशे के नहीं तेनो त्रास;
२–मरण थया पछी परभव हशे के नहीं अने होय तो मारुं शुं थशे तेनो त्रास;
३–शरीरमां रोग थाय तेनी वेदनानो त्रास;
४–मने शरण आपनारा–सगाव्हालां, संबंधीओ कुटुंबीओ, शेठ, राज्य वगेरे रक्षण आपशे के केम, के
कोई वखते प्रतिकुळ थवानो त्रास;
५–मारी कोई वस्तु कोई चोर वगेरे लई न जाय तेम गोपवी राखी छे ते खानगी बाबतनी कोईने
खबर पडतां मने नुकसान पहोंचाडशे एवो त्रास;
६–ईन्द्रिओ आदी शिथिल थवी अने छेवटे मरण थवानो त्रास;
७–कांईक अणधार्युं–एकाएक आकस्मिक बनाव बनी जवानो त्रास.
पहेलो मित्र:–आ त्रासो मटाडवाना कोई उपायो हशे के नहीं?
बीजो मित्र:–जुओ. ‘बरफ ठंडो छे तेथी तेने अडीशुं तो आपणे दाझीशुं ’ एवो भय के त्रास कोईने
थाय छे खरो?
पहेलो मित्र:–बिलकुल नथी थतो.
बीजो मित्र:–तेनुं कारण शुं?
पहेलो दोस्त:–तेनुं कारण ए छे के बरफनो स्वभाव जाण्यो छे तेथी ते बाळशे एवो त्रास थतो नथी.
बीजो मित्र:–तमे तमारा घरमां दिवसे दोरडुं देखो तो तमने “आ करडशे” एवो त्रास लागे?
पहेलो मित्र:–बिलकुल नहीं, केमके मने खबर छे के तेने करडवानो स्वभाव नथी.
बीजो मित्र–अने तेज दोरडुं अंधारामां देखो तो ते सर्प छे एम मानी त्रास पामी दूर चाल्या जाओ के
केम?
पहेलो मित्र– हा, जरूर त्रासना कारणे दूर भागी जाउं.
बीजो मित्र:–तेनुं कारण शुं?
पहेलो मित्र–तेनुं कारण ए छे के–ए वस्तु शुं छे तेनुं मने ते वखते अज्ञान छे अने तेथी ते अगवड
आपे तो नुकसान थाय एवो भ्रम थाय छे तेथी हुं दूर भागुं छुं.
बीजो मित्र– जुओ त्यारे, आ उपरथी एम नक्की थयुं के वस्तु ना स्वभावनुं अज्ञान होय त्यां
अगवडताना भयथी त्रास थाय छे.
पहेलो मित्र– ए वात बराबर छे; पण कोई कोई वखते ज्ञान थवाथी पण त्रास थाय छे अने अज्ञान
होय त्यारे सुख होय छे.
बीजो मित्र–तेवो दाखलो आपो.
पहेलो मित्र–जुओ; एक माणसनो दीकरो गुजरी गयो छे, पण ज्यां सुधी तेनुं तेने ज्ञान नथी त्यां सुधी
दुःख थतुं नथी, अने खबर पडे छे त्यारे दुःख थाय छे, तेथी इंग्लीशमां कहेवत पण छे के Ignorance is
bless एटले के ‘अज्ञानता ए सुख छे.’
बीजो मित्र–तमोए कहेला दाखलामां ज्ञान दुःखनुं कारण नथी पण ‘ दीकरो मारो छे ’ ए ममत्वना
कारणे–तेना तरफना