Atmadharma magazine - Ank 006
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

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: ८४ : आत्मधर्म : वैशाख : २०००
त्रिहुजगवंदन त्रिसलानंदन भगवान श्री महावीर स्वामीनुं
जीवन चरत्र
• लेखक: – रामजीभाई माणेकचंद दोशी •
तीर्थंकरनो जन्म क्यारे थाय?
कर्मभूमिमां आत्मानुं स्वरूप समजवाने पात्र घणा जीवो होय छे त्यारे एक जीव पोतानो उन्नतिक्रम
साधतो साधतो ते भवे पोताना गुणो पूरा करनार तथा पुण्यमां पण पूरो एवो, मनुष्यपणे जन्मे छे. ते जीव
केवळज्ञान पामे त्यार पछी पात्र जीवो आत्माना स्वरूपनो तेमनो उपदेश (तेमनो उपदेश ईच्छापूर्वक होतो
नथी) सांभळी, स्वरूपनी भ्रमणा टाळी धर्म पामे छे अने विकारना महासमुद्रने तेओ तरी जाय छे. तेमज
तीर्थंकर भगवानना निर्वाण पछी धर्म पामवाने लायक जीवो होय छे, त्यां सुधी एना उपदेश अने आगमना
अभ्यास वडे धर्म पामे छे अने त्यां सुधी दरेक तीर्थंकरनुं शासन चाले छे. ते कारणे तेवा केवळज्ञानी पुरुषने
तीर्थंकर कहेवामां आवे छे. वर्तमान चोवीशीमां भरत भूमिमां तेवा जीवो चोवीश थया छे, तेमां
श्रीवर्धमानस्वामी छेल्ला थया छे.
महाविदेह अने आ क्षेत्रनो फेर
कर्मभूमिमां महाविदेह क्षेत्रमां आत्मानुं स्वरूप समजवाने पात्र जीवो हंमेशा होय छे. अने तेथी त्यां तीर्थंकरो
पण हंमेशां होय छे. भरत अने ईरवतमां तेवा लायक जीवो केटलीक वखते होय छे अने केटलीक वखते होता नथी.
काळ क्रममां ज्यारे तेवा लायक जीवो आ क्षेत्रे होय छे त्यारे तीर्थंकर जन्मे छे, अने जीवो धर्म पामे छे.
तीर्थंकर भगवानना निर्वाण पछी पण तेमनो उपदेश समजीने धर्म पामनारा जीव ज्यांसुधी होय त्यां सुधी ते
तीर्थंकरनुं शासन चाले छे. केटलोक वखत धर्मविच्छेद पण अहीं थई जाय छे. तेवा आंतरा चोथा काळमां तीर्थंकर
भगवानश्री सुविधिनाथथी शरू करीने साततीर्थोमां आवेलां हतां.
चालता काळमां धर्मशासन
पंचमकाळमां धर्मविच्छेद नथी, धर्म ते पांचमा आराना छेडासुधी एटले के २१००० वर्ष सुधी चालशे
अने तेमांथी हाल २५०० वर्ष ज गयां छे. चोथाना धर्मविच्छेद काळनी अपेक्षाए आ काळ सारो छे. धर्म आ
आराना छेडासुधी रहेशे तेथी तेवा लायक जीवो हाल आ जगतमां छे अने हवे पछी पण थशे ए स्पष्ट छे.
धर्मना स्वरूपने नहीं समजनाराओ, धर्मना नायको अने अग्रेसरो थई बेसे त्यारे जिज्ञासु पात्रजीवोने
धर्म पामवानी अडचणो घणी छे. (आ वखतनुं वर्णन छेवट आपवामां आव्युं छे) ते अपेक्षाए आ काळने
हलको कहेवामां आवे छे, छतां आ काळमां धर्म पामनारा जीवो अत्यारे छे अने भविष्यमां पामशे माटे जीवोए
निरुत्साही थवा कारण नथी. ए प्रकारे भगवान श्री वर्धमान स्वामीनुं शासन आ क्षेत्रे हाल प्रवर्ते छे.
भगवान महावीरना माता पिता, जन्मस्थान अने मिति.
भगवान महावीरनो जन्म विक्रमसंवत् पूर्वे ५४३ ना वर्षे चैत्र सुद १३ ना रोज वैशाळी देशमां कुंडलपुर
मध्ये राजा सिद्धार्थने घेर थयो हतो. तेमनी मातानुं नाम त्रिसलादेवी हतुं. भगवान महावीरना पूज्य पिता
ईक्ष्वाकु या नाथ वंशना मुकुटमणी समान गणाता हता. भगवानना माता त्रिसलादेवी लिच्छवी क्षत्रीओना
नेता राजा चेटकनां पुत्री हता.
भगवाने तीर्थंकर नामकर्मनो बंध
भगवान महावीर आगला त्रीजा भवमां छत्राकार नगरना नंदराजा हता. तेओ सम्यग्द्रष्टि हता अने
निःशंकादिसहित सम्यक्त्वना आठ आचार तेओए प्रगट कर्या हता; अने श्रावकना साचा बार वृत अंगीकार
कर्या हता. त्यार पछी महामुनि प्रौष्ठिलना उपदेशथी यथार्थ साधुपणुं अंगीकार कर्युं हतुं; ते नंद मुनीश्वरे
भावसहित सोळ भावना भावतां तीर्थंकर नामकर्म बांध्युं हतुं.
पछी अच्युत स्वर्गनां ईन्द्र
आयुष्य पूरुं थतां तेओ अच्युत स्वर्गनां ईन्द्र तरीके जन्म्या.