Atmadharma magazine - Ank 008
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

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: १३८ : आत्मधर्म : अषाढ : २००० :
प दिवस करतां वधारे पडतर न वापरवो ए वगेरे विवेक दाखल थता जाय छे.
(प) कंदमूळ वगेरेनो त्याग तो होय ज. बहु बीजवाळी लीलोतरी वगेरेनो त्याग पण वधतो जाय छे.
(६) पापड वगेरे वस्तुओ तैयार थया पछी चोवीस कलाकथी वधारे वखत रहे त्यारे तेमां सडो थई
जाय छे–तेथी तेनो त्याग थतो जाय छे.
(७) मधमां अनेक त्रस जीवो थता होवाथी तेनो त्याग थयो छे.
(८) हाल जे प्रकारे दूध मेळववामां आवे छे तेमां परंपरा सडो थई जाय छे तेथी ते पद्धत्ति बदली
काचली अगर रूपुं नांखी दूध मेळववानी पद्धत्ति दाखल थती जाय छे.
भाव
(२२) परम पूज्य सद्गुरु देवना उपदेशनुं तमाम वजन भाव उपर ज छे. अनंत तीर्थंकरोए कहेलुं
तत्त्व तेओ तेमना व्याख्यानमां घणी ज सरळ अने मधुर भाषामां कहे छे. नानुं बाळक पण समजी शके एवी
घरगथ्थु भाषा तेओ प्रकाशे छे. शास्त्रनी परिभाषानो ओछामां ओछो उपयोग तेओश्री करे छे, तेने परिणामे
जैनधर्मना तत्त्वज्ञाननो घणो प्रचार थयो छे. परम पूज्य सद्गुरु देवे अध्यात्म रसनो धोधमार वरसाद
वरसाव्यो छे, तेथी जैन धर्मना तत्त्वनो बहोळो प्रचार थयो छे.
(२३) परम पूज्य सद्गुरुदेवे विहारमां श्री पद्मनंदि सूत्रनुं व्याख्यान उमराळाथी शरू करेल. विहार
दरम्यान जे गामे पहोंचे त्यां बपोरे व्याख्यान अने रात्रे शंका–समाधान ए प्रमाणे कार्यक्रम चालतो. जे गामे
एक दिवस करतां वधारे रोकावानुं थाय त्यां सवारे अने बपोरे व्याख्यान तथा रात्रे शंका–समाधान ए प्रमाणे
कार्यक्रम रहेतो. वढवाण शहेरमां ए त्रण कार्यक्रम उपरांत बपोरे एक कलाक श्री प्रवचनसारनी श्रीमान्
अमृतचंद्राचार्यनी संस्कृत टीकाना गुजराती अर्थ भाई हिंमतलाल जेठालाल शाह (जेओ हाल प्रवचनसारनुं
गुजराती अनुवादन करी रह्या छे तेओ) करता अने पू. महाराज साहेब तेना भावो समजावता. वढवाण
केम्पमां सवारे पद्मनंदीसूत्रनुं व्याख्यान अने बपोरे श्री मोक्षमार्गप्रकाशकनुं व्याख्यान तथा रात्रे शंका–समाधान
ए प्रमाणे कार्यक्रम हतो. ते उपरांत बाकीना वखतमां जुदे जुदे वखते अनेक भाईओ आवता अने ज्ञानचर्चा
चालती. मोटा शहेरोमां ते उपरांत सवारमां वहेली ज्ञानचर्चा चालती. ए प्रमाणे श्रुतगंगानो धोधमार वरसाद
वरसावता श्री सद्गुरु देवे सां. १९९९ना जेठ सुद १० ना रोज राजकोटनी भूमिने तेमना पूनित पगलां वडे
पवित्र करी, अने त्यां सां. २००० ना फागण वद २ सुधी बिराजी फागण वद ३ ने रविवारना रोज राजकोटथी
विहार शरू कर्यो. राजकोटनो कार्यक्रम नीचे प्रमाणे हतो.
(२४) सवारमां अर्धो कलाक ज्ञानचर्चा; सवारे एक कलाक श्री समयसार पर व्याख्यान, त्यार पछी
एक कलाक नियमसारनुं वांचन. बपोरना एक कलाक पंचास्तिकायनुं वांचन त्यार पछी श्री प्रवचनसार पर
व्याख्यान, त्यार पछी श्री अष्टपाहुडनुं वांचन तथा रात्रे शंका–समाधान. आ प्रमाणे आखो दिवस तेओश्रीए
तेमना विशाळ अनुभव ज्ञाननो लाभ आपी ते ज्ञानजळवडे अनेक मुमुक्षुओने राजकोटमां पवित्र कर्या. श्री
प्रवचनसारना पहेला बे अध्याय व्याख्यानमां समजाव्या पछी बपोरे पण श्री समयसारनुं व्याख्यान चालतुं.
पर्युषणमां सवारे श्री समयसार तथा बपोरे श्री पद्मनंदीसूत्रमांथी दान अधिकारना व्याख्यान चालता. श्री
पंचास्तिकायनुं वांचन पूरूं थया पछी श्री सर्वार्थसिद्धिनुं वांचन शरू थयेलुं, अने श्री नियमसारनुं वांचन पूरूं
थया पछी ते वखते पण श्री सर्वार्थसिद्धिनुं वांचन थतुं.
(२प) आ उपरांत सवारमां मुमुक्षुभाईओ अने बहेनो राजकोटमां भगवाननी पूजा करता, रविवार
अने तहेवारना दिवसोए व्याख्यान पछी दहेरासरमां प्रभुभक्ति थती, अने सांजे एक कलाक प्रतिक्रमण थतुं.
(२६) व्याख्यानमां घणा माणसो आवता होवाथी पू. महाराज साहेबने जोरथी बोलवानो घणो
परिश्रम पड्यो तेने परिणामे तथा बीजा कारणोए राजकोटमां केटलोक वखत तेमनी तबियत नरम रहेली तेथी
तेटला दिवस व्याख्यान बंध रहेल हतुं, ते दिवसोमां तेमनी पासे वांचन तो चालु रहेलुं.
(२७) आ प्रमाणे राजकोट उपर पूर्ण कृपा वरसावी तेओश्रीए मुमुक्षुओने अनहद लाभ