: १४० : आत्मधर्म : अषाढ : २००० :
(३२) आ रीते काठियावाड, गुजरात, मारवाड अने हिंदुस्तानना बीजा भागोनो समाज सारा
प्रमाणमां (कुळ धर्मना भेद रहित) अध्यात्म रसनी आ प्रवृत्तिमां रस लई रहेल छे. “जैन धर्म ए कोई वेश के
संप्रदाय नथी, पण विश्वनुं स्वरूप प्रतिपादन करे छे.” एम तेओने जणायुं छे. जैन धर्म आंधळी श्रध्धाथी मानी
लेवानो नथी, पण प्रयोजनभूत बाबतोमां परीक्षा करी सत्यासत्यनो निर्णय करी तेने स्वीकारवो जोईए एम
तेमने खातरी थई छे. जैन धर्म एक खरेखरुं विज्ञान (Science) छे, अने ते न्याय (Redson) उपर
रचायेलुं छे एम अभ्यासीने जणाया विना रहेतुं नथी.
श्रावकना षट् आवश्यक कर्म
(३३) श्री पद्मनंदिपंचविंशतिका श्रावकाचारमां नीचे प्रमाणे श्रावकोनां छ आवश्यक कह्यां छे.
देव पूजा गुरु पास्तिः स्वाध्यायः संयमस्तपः
दानश्चेति गृहस्थानां षट्कर्माणि दिने दिने।। ७।।
अर्थ: जिनेन्द्र देवनी पूजा, सद्गुरुनी सेवा, स्वाध्याय, सयंम, तप, अने दान ए छ कर्म श्रावकोए
प्रतिदिन करवा योग्य छे. नोट:–सम्यग्दर्शन जेने न होय ते खरो श्रावक नथी, अने तेने आ आवश्यक खरा
होता नथी. आ छए आवश्यक यथाविधि यथाशक्ति मुमुक्षु जीवो करी रह्या छे.
प्रभावनानां कार्यो
(३४) सोनगढ स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट हस्तक नीचेना मकानो धर्मना प्रचार माटे बंधाववामां आव्यां छे–
–:
(१) श्री जैन स्वाध्याय मंदिर–जेमां पू. सद्गुरु देव बिराजे छे, अने व्याख्यान आपे छे.
(२) श्री खुशाल अतिथि गृह–जेमां बहार गामथी आवता मुमुक्षुओने रहेवा तथा जमवा माटे सगवड
करवामां आवे छे.
(३) भगवान श्री सीमंधर स्वामीनुं सनातन जैन देरासर.
(४) श्री समवसरण [धर्म सभा]
(प) मुमुक्षु भाईओने सोनगढमां रही लाभ लेवा माटे एक प्लोट लेवामां आव्यो छे, जेमां हाल मकानो
चणाय छे; तेमां १४ कुटुंबोनो तथा १४ नाना कुटुंबोनो एम कुल २८ कुटुंबोनो समावेश थाय तेटली सगवड थशे.
(६) श्री ब्रह्मचर्य आश्रम माटे जग्या लेवामां आवी छे जेमां योग्य समये मकान बंधाववामां आवशे.
(७) श्री मानस्थंभ बनाववानुं कार्य थोडा समयमां हाथमां लेवामां आवशे.
आ बधां कार्यो अने प्रचार मुमुक्षु भाई बहेनोना दान प्रभावनादिना चालु रहेता सतत् प्रवाह विना बनी शके नहीं.
श्री जैन अतिथि सेवा समिति
(३प) सोनगढमां आवता मुमुक्षु भाईओ तरफथी आ समिति स्थापन करवामां आवी छे, तेना
धाराओ घडवामां आव्या छे. ते समितिनुं कार्यक्षेत्र सोनगढ आवता समितिना सभ्यो तथा महेमानो माटे
रसोडानो प्रबंध करवानो छे. श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टे श्री खुशाल अतिथिगृहनो केटलोक भाग ए
समितिने वपराश माटे आप्यो छे. ते समितिना सभ्यनी वार्षिक फी. रूा. प/–छे. समितिने रसोडे जमता भाई–
बहेनो जे कांई रकम आपे तेनो स्वीकार करवामां आवे छे. ए रकम अने सभ्योनी वार्षिक फीनी रकममांथी आ
खर्च उपडी जाय छे. खास तहेवारो अने पर्युषणना दिवसोनुं खर्च जुदा जुदा मुमुक्षु भाई–बहेनो जुदे जुदे
वखते आपे छे, अने ते प्रसंगे आवता भाईओ भेगामळी गामदीठ योग्य लागे ते रकमो पण आपे छे.
सनातन ब्रह्मचर्य आश्रम
(३६) सोनगढमां सां–१९९८ ना भादरवा सुद प ना रोज ‘श्री सनातन जैन ब्रह्मचर्य आश्रम’
स्थापवामां आवेल छे. जैन तत्त्वज्ञानना अभ्यास माटे तेमां त्रण वर्षनो कार्यक्रम राखवामां आव्यो छे; तेमां
दाखल थनारा भाईओए त्रण वर्ष ब्रह्मचर्य पाळवानुं होय छे, आ संस्था धार्मिक होवाथी तेमां व्यवहारिक
शिक्षणनो प्रबंध नथी. जैनधर्मना तत्त्वज्ञाननी आ प्रकारना शिक्षणनी काठियावाडमां आ एक ज संस्था छे.
सां. १९९७–१९९८ नी सालमां उनाळामां धार्मिक शिक्षणनो वर्ग खोलवामां आव्यो हतो. तेमां पहेली
सालमां चालीश अने बीजी सालमां सीत्तेर विद्यार्थीओए लाभ लीधो हतो. सां. १९९९ नी सालमां महाराज
साहेब विहारमां होवाथी ते सालमां वर्ग खोली शकायो नहोतो. चालु सालमां आ वर्ग खोल्यो हतो, अने तेमां
६० विद्यार्थीओए लाभ लीधो हतो.