Atmadharma magazine - Ank 008
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

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• • श्र िक्ष र् • •
– सोनगढ –
सा विद्या या विमुकत ये। एवुं सूत्र पोताना ध्येयमंत्र तरीके तो घणी शिक्षण संस्थाओ राखे छे, परंतु
खरेखर मुक्ति अपावे एवी विद्या आपनारुं शिक्षण क्यांय दीठुं नहोतुं.
गया मे महिनानी ४ थी तारीखे जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट तरफथी एक शिक्षण वर्ग मात्र एक महिना
माटे शरु करवामां आवेलो. जेमां ६० विद्यार्थीओ शिक्षण लेवा माटे आवेला. ए विद्यार्थीओने अभ्यास करतां
जोयां त्यारे ज लाग्युं के ‘सा विद्या या विमुक्त ये’ए सूत्रने अनुरूप एवुं ज शिक्षण अहिं अपाय छे.
लगभग १२ वर्षनी उम्मरथी मांडीने पर वर्षनी उम्मर सुधीना विद्यार्थीओ हता. व्यवहारमां जेने
खरेखर कुशळ कही शकाय एवा मोटी उम्मरना विद्यार्थीओ आ वर्गमां ठोठ तरीके पूरवार थतां हतां. अने
पोतानी जातने होशियार मानता प्रेक्षको अभ्यास करतां विद्यार्थीओने पूछातां प्रश्नोना जवाब आपतां जोईने
आपमेळे शरमातां हतां.
परम पूज्य सद्गुरुदेवनी हाजरीमां सवारना १०ा थी ११ा अने बपोरना २।। थी ३।। वाग्या सुधी ए
वर्ग चालतो.
अवारनवार गुरुदेव बाळकोने हसता हसता प्रश्नो पूछता अने ए द्वारा केटलाय गहन विषयोना
न्यायो बाळको सहेलाईथी समजी शके एवी रीते शीखवता.
माननीय मुरब्बीश्री रामजीभाई, पंडितश्री अमृतभाई, श्री. चीमनभाई तथा बाबुभाई विद्यार्थीओना
शिक्षण माटे सतत् काळजी राखी एओ होंशेहोंशे आ अपूर्व विज्ञान शीखे ते रीते तेमने तेओनी मनोवृत्ति तथा
ग्रहण शक्तिनो विचार करी शीखवता.
मात्र एक महिना जेवी टुंक मुदतमां जैनसिद्धांत प्रवेशिकानो बीजो अध्याय, आत्मसिद्धि शास्त्रनी ९१
गाथा अने द्रव्यसंग्रहनो थोडोक भाग तेओ शीखी शक्या. ए उपरांत लगभग तमाम विद्यार्थीओ सवार अने
बपोरना व्याख्यानमां, सांजना भक्तिमां अने अमुक विद्यार्थीओ तो रात्रिनी चर्चामां पण भाग लेतां.
सौ विद्यार्थीओ पोतपोतानी शक्ति मुजब अभ्यास करी प्रश्नोना उत्तर आपतां परंतु भाईश्री
न्यालचंद, चंद्रकांत अने प्रविण जेवा विद्यार्थीओने पूछाता प्रश्नोना कडकडाट जवाब देतां सांभळीने तेमनी
समजणशक्ति अने खंत माटे बहुमान उपजतुं अने बीजाओने तेवी शक्ति मेळववानुं दिल थतुं हतुं.
एकंदरे विद्यार्थीओए एक मासमां समूह वच्चे, सोनगढनी सूकी आबोहवामां परम पूज्य–सद्गुरुदेवनी
अमृत वाणी सांभळता अने देवाधिदेवश्री सीमंधर प्रभुनी समीपमां रही आ काळे दुर्लभ एवो सत्संग अने
सद्दविद्या प्राप्त करी.
एक मासना शिक्षणने अंते परीक्षा पण लेवाई; तेमां ८३ टका परिणाम आव्युं, अने बाळकोने लगभग
८३ रूा. नी रकमनुं ईनाम पण वहेंचायुं. स्थळ संकोचने कारणे परीक्षापत्र तथा विद्यार्थीओए आपेला उत्तर
आपी शकाया नथी. आवते अंके आपी शकाशे त्यारे आ वर्गनी महत्तानो साचो ख्याल आवी शकशे.
विदाय लेतां विद्यार्थीओए प्रमुख साहेब पासे दीवाळीना वेकेशनमां वर्ग शरु करवानी मागणी करी
हती; जेनो प्रमुख साहेबे सहर्ष स्वीकार कर्यो छे.
आशा छे के आवता वर्गमां आ अद्भुत विद्यानुं शिक्षण लेवा सौ कोई मुक्तिप्रेमी महानुभावो पधारशे.
जमु रवाणी
मुद्रक:– चुनीलाल माणेकचंद रवाणी शिष्ट साहित्य मुद्रणालय दासकुंज, मोटा आंकडिया, काठियावाड.
ता. १प–६–४४
प्रकाशक:– जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, दासकुंज, मोटा आंकडिया
काठियावाड.