२००० : श्रावण : आत्मधर्म : १५३ :
शुभभाव करतां–पापनो पण बंध थाय, एमां नवाई जेवुं तमने लागे छे?
पहेलो मित्र–लागे छे खरूं माटे ए बाबतनी चोखवटनी जरूरियात छे. आपणे हवे पछी ते चर्चीशुं.
बीजो मित्र–सारुं. (बन्ने जुदा पडे छे.)
पांचमो प्रसंग : – शुभ भाव करतां पाप बंध थाय छे. तेनुं कारण?
पहेलो मित्र–शुभभाव करतां पापनो बंध पण केम थाय छे?
बीजो मित्र–आपणे बे प्रकारना जीवो आ संबंधमां विचार करतां लईशुं. (१) आत्म स्वरुपथी अजाण
(२) आत्मस्वरूपना जाण–साधक जीव.
तेमां प्रथम–आत्म स्वरूपथी अजाणनुं पहेलुं जाणवुं लाभ दायक छे.
पहेलो मित्र–बराबर छे. आत्म स्वरूपथी अजाणने पहेलुं लेवुं ते व्याजबी छे.
बीजो मित्र–जुओ–ते तो एम माने छे के–(१) हुं पर जीवने मारी नांखी शकुं (२) पर जीवने जीवाडी
(बचावी) शकुं (३) पर जीवने दुःख दई शकुं (४) पर जीवने सुख दई शकुं केम एम ते माने छे के केम?
पहेलो मित्र–हा–बीजाने मारी नांखी शकुं. बीजाने दुःख दई शकुं एम माने छे–अने तेवा कृत्यने लोको पाप
कहे छे, अने बीजाने जीवाडी शकुं, बीजाने सुख दई शकुं एम ते माने छे. अने तेवा कृत्यने लोको पुण्य कहे छे.
बीजो मित्र–तेनी मान्यता बाळकनी छे के मोटानी छे.
पहेलो मित्र–नाना मोटा लगभग घणानी छे.
बीजो मित्र–एक आपणे महासभा बोलावीए अने पछी उपर प्रमाणे आपणे पुण्य–पापनी व्याख्या
तेमनी पासे मूकीए तो ते ठराव पसार थाय के केम?
पहेलो मित्र–जरूर पसार थाय.
बीजो मित्र–तेथी विरुद्ध कोई महासभामां–कहे के जुओ भाई जे ठराव तमे पसार करवा मागो छो ते
भूल भरेलो छे. कोई कोईने मारी जीवाडी शके नहीं. सुखदुःख थई शके नहीं तो तेना कथननी शुं वल्ले थाय?
पहेलो मित्र–अरे आगेवानो महा फडहडाट करी मूके अने कहे के–अरे आवुं कहेवाथी तो समाजने महा
नुकसान थाय. भगवान महावीरे कह्युं तेने आ लोपे छे. विगेरे कही लांबा भाषणो करे. धर्मनो लोप थवा बेठो
छे विगेरे मतलबे कहे एम मने लागे छे.
बीजो मित्र–भाई जुओ! ते मान्यता भूल भरेली छे, ए तमने आगळ कंईक कह्युं हतुं. हवे आपणे
वळी वधारी चर्चीए. जीज्ञासु बुद्धिथी–खुल्ला दिलथी–चर्चवाथी सत्य–असत्यनी खबर पडे छे. माटे तमने पुछुं
छुं के:– जुओ नीचे मुजब बने छे.
(१) एक डोकटर–दरदीने साजो करवा माटे, तेनाथी बनी शके तेटली बधी काळजी राखी तेनुं दुःख दूर
करवाना हेतुथी OPERATION (ओपरेशन) करे छे, पण दरदी टेबल उपर ज मरी जाय छे?
(२) एक माणस बीजा माणसने मारी नाखवाना हेतुथी झेर आपे छे, अने बीजो माणस ते झेर खाय
छे तेने परिणामे ते मरतो नथी, पण तेने लांबा वखतनुं कांई दरद होय ते तेनाथी मटी जाय तेम बने छे?
(३) एक माणस सुखी थशे एम मानीने ते बीजा माणसने ते चीज आपे छे, पण ते चीज ते माणसने
आपतां ते तेने गमे नहीं, अने सुखने बदले दुःख थाय?
(४) एक पिता पुत्रने शिखामण पुत्रना भला माटे आपे के भाई–आपणे असत्य बोलवुं, चोरी
करवी, जुगार रमवो विगेरे सारुं नहीं छतां ते पुत्र न माने एम बने के केम? अने तेने सुख थवा माटे
आपेली शिखामण तेने अरुचिकर लागे के केम?
(५) गजसुकुमारने तेना ससराए माथा उपर जळहळ अग्नि तेने दुःख माटे मूकी पण तेमने
अजन कण?
१ अवगुणथी जेना गुण जीताई जाय (ढंकाई जाय) ते अजैन.
२ जे राग–द्वेषने पोताना मानी राखवा जेवा गणे अने शरीरादि जडनो पोताने कर्ता माने ते अजैन.
३ अजैन एटले जगत (विकार) नो सेवक.
४ अजैन एटले संसारमां रखडवानो कामी.