Atmadharma magazine - Ank 009
(Year 1 - Vir Nirvana Samvat 2470, A.D. 1944)
(Devanagari transliteration).

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२०००: श्रावण: आत्मधर्म : १५७:
शाश्वत सुखना ईच्छनारे आ परीक्षामां पास थवुं जोईशे.
साची परीक्षा
[श्री सनातन जैन शिक्षण वर्ग सोनगढ, ता. ३१–५–४४ ना रोज लेवायेली परीक्षामां पूछायेला प्रश्नो
अने तेना श्री न्यालचंद लक्ष्मीचंद मूळी वाळाए आपेला उत्तर नीचे प्रमाणे छे. समय ९–१५ थी ११–० सुधीनो
हतो, पेपर ५० मार्कसनो हतो. भाईश्री न्यालचंदे संपूर्ण साचा जवाबो लखी पूरा पचास मार्कस मेळव्या
हता.
]
समय: सवारना ९–१५ थी ११ ता. (३१–५–४४)
प्र. १. (क) व्हेला उठीने स्मरण करवा योग्य एवुं कोई पण स्तुतिनुं एक पद लखो.
(ख) आत्मा ज्ञान स्वरूप ज छे एवा आशयनो एक श्लोक अर्थ सहित लखो.
(ग) आत्मा नित्य छे तेनी सिद्धि करो.
(घ) श्री आत्मसिद्धिशास्त्रना आधारे निजज्ञान प्रगटावनी रीत लखो.
प्र. २. नीचेना प्रश्नोमांथी गमे ते चारना जवाब लखो.
(१) पर्याय एटले शुं? व्यंजन पर्याय अने अर्थ पर्याय एटले शुं? ते दाखला सहित समजावो.
(२) सामान्य गुण कोने कहे छे? मुख्य सामान्य गुणो केटला छे? तेना नाम लखो.
(३) ज्ञानना अने दर्शनना भेद केटला छे? तेना नाम आपो.
(४) कया गुणने लीधे पोतानो आत्मा पोताने जणाय. वस्तुमां एवो क्यो गुण छे के जेथी एक गुण
बीजा गुण रूपे थतो नथी?
(प) नीचेना शब्दोनी व्याख्या आपो:–
परमाणु, प्रदेश, चारित्र.
(६) सद्गुरु कया लक्षणे ओळखाय?
प्र. ३. नीचेमांथी गमे ते चारना जवाब आपो.
(१) पंच परमेष्टीमां देव केटला छे? ते देवनुं लक्षण शुं? लोको साचुं सुख पामे ते माटे तीर्थंकर देवने
उपदेश आपवानी ईच्छा होय के नहि?
(२) व्यवहार नयथी गति केटली छे? लोकोना हित माटे सिद्ध भगवान अवतार ले के नहि ते
समजावो. मोक्षमां बधा आत्मा एक थई जाय के नहि?
(३) ‘अभाव’ कोने कहे छे ते पुद्गल अने जीवनो दाखलो आपी समजावो. जीव एक छे के अनंत छे?
सिद्ध जीवो केटला हशे?
(४) अरूपी कोने कहेवाय? जीव अरूपी छे के रूपी? रंग वगरना पदार्थने आकार होय के नहि? जीव
निराकार छे एटले शुं?
(प) जीव अने अजीव शाथी ओळखाय? अजीव अने पुद्गलमां शो तफावत छे?
प्र. ४. नीचेमांथी गमे ते छ वाक्यो खाली जग्या पूरी फरीथी लखो.
(१) व्यवहार नयथी आत्मा.......नो कर्ता छे. अने अशुद्ध निश्चयथी.......नो कर्ता छे.
(२) शुभ अने अशुभ परिणामने....मोक्ष थाय छे. (३).......... आत्मानी श्रध्धा ते सम्यकत्व छे.
(४) परमार्थे............जीव असंग छे.
(प) जे जीव........ने जीननुं वर्णन समजे अने........ना ज्ञानने श्रुतज्ञान समजे ते जीव.......कहेवाय.
(६) सुखगुण...............द्रव्यनो छे.
(७) ............परिणाम ते मोक्षनुं कारण छे.
(८) ............प्रेरे ते व्यवहार समंत करवो योग्य छे.
उत्तर–१ (क)
मंगलं भगवान वीरो मंगलं गौतमोगणी। मंगलं कुन्दकुन्दार्यो जैनधर्मोऽस्तु मंगलम्।।
मंगलं भगवान वीरो, मंगलं गौतमो गणी; मंगलं कुन्दकुन्दार्यो, जैनधर्मोस्तु मंगलं
(ख) आत्माज्ञानं स्वयंज्ञानं ज्ञानादन्यतकरोतिकिम्। परभावस्य कर्तात्मा मोहोऽयं व्यवहारिणाम्।।
आत्माज्ञानं स्वयंज्ञानं, ज्ञानात अन्यत करोति किं. परभावस्य कर्तात्मा मोहो अयं व्यवहारिणां.