Atmadharma magazine - Ank 013
(Year 2 - Vir Nirvana Samvat 2471, A.D. 1945)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 8 of 17

background image
: कारतक : २००१ आत्मधर्म : ७ :
शके नहीं. आमां स्वतंत्रतानी जाहेरात करे छे.
उपादान द्रष्टि ते यथार्थ द्रष्टि छे. एक वस्तु स्वतंत्र छे तेमां बीजो करी शुं शके? माटीमांथी घडो थाय छे
ते क्रम पूर्वक माटीमांथी पर्याय आवे छे. क्रमपूर्वक घडानी पर्याय थवानुं टाणुं आवे त्यारे कुंभार होय, छतां
माटीमांथी क्रमबद्ध पर्याय थाय ते तेना माटीना पोताना कारणे थाय छे; नहीं के कुंभारने कारणे
प्रश्न:– कोई कहे के कुंभार हाजर न होय तो?
उत्तर:– घडो न थवानो होय ने माटीनो पिंड रहेवानो होय तो ते पण क्रमसर ज छे. ते क्रम तोडवाने
अज्ञानी, ज्ञानी के तीर्थंकर कोईनी ताकात नथी.
कांई अकस्मात थाय तो कोईने एम थाय के आ अकस्मात केम थयुं? पण अकस्मात् कांई थतुं ज नथी.
ते तेना क्रमबद्ध अवस्थाना नियम प्रमाणे ज थाय छे. आवो वस्तुनो नियम समजे तेने वीतराग द्रष्टि थया
वगर रहेज नहीं वीतराग स्वभाव समजे तेने वीतरागतानुं कार्य आव्या वगर रहे ज नहीं.
परनुं हुं कांई करी शकुं नहीं, अने पर मारुं कांई करी शके नहीं, बधा आत्मानी अने जडनी एक पछी
एक क्रमसर अवस्था थाय छे एमां हुं शुं करूं? तेम समजतां फट शांति थाय छे. अहींया तो कहेवुं छे के पर
उपरनुं वलण छोड, कारणके ज्यां जेनी द्रष्टि त्यां ते तरफनी तेनी क्रमबद्ध पर्याय थाय छे. बीजानुं कर्तापणुं
छोडतां अनंतो पुरुषार्थ आवी जाय छे.
ओळखी लेजो
अनेकान्तवाद अने फुदडीवाद.
१. आत्मा पोतापणे छे अने परपणे नथी एनुं नाम अनेकान्तवाद.
आत्मा पोतापणे छे अने परपणे पण छे एनुं नाम फूदडीवाद.
२. आत्मा पोतानुं करी शके छे अने शरीरादि परनुं नथी करी शकतो एनुं नाम अनेकान्तवाद.
आत्मा पोतानुं करी शके छे अने शरीरादि परनुं पण करी शके छे एनुं नाम फूदडीवाद.
३. आत्माने शुद्धभावथी धर्म थाय अने शुभभावथी धर्म न थाय एनुं नाम अनेकान्तवाद.
आत्माने शुद्धभावथी धर्म थाय अने शुभभावथी पण धर्म थाय एनुं नाम फूदडीवाद.
४. निश्चयना आश्रये धर्म थाय अने व्यवहारना आश्रये धर्म न थाय एनुं नाम अनेकान्तवाद.
निश्चयना आश्रये धर्म थाय अने व्यवहारना आश्रये पण धर्म थाय एनुं नाम फूदडीवाद.
प. व्यवहारनो अभाव थतां निश्चय प्रगटे तेनुं नाम अनेकान्तवाद.
व्यवहार करतां करतां निश्चय प्रगटे तेनुं नाम फूदडीवाद.
६. आत्माने पोताना भावथी लाभ थाय अने शरीरनी क्रियाथी लाभ न थाय एनुं नाम अनेकान्तवाद.
आत्माने पोताना भावथी लाभ थाय अने शरीरनी क्रियाथी पण लाभ थाय एनुं नाम फूदडी वाद.
७. एक वस्तुमां परस्पर विरुद्ध बे शक्तिओ प्रकाशीने वस्तुने सिद्ध करे ते अनेकान्तवाद.
एक वस्तुमां बीजी वस्तुनी शक्ति प्रकाशीने बे वस्तुने एक बतावे ते फूदडीवाद.
८. स्याद्वाद द्वारा बधी वस्तुओना स्वरूपने सत्यरूपे बतावनारूं सर्वज्ञ भगवाननुं अबाधित साधन ते अनेकान्तवाद.
असत्यार्थ कल्पनाथी एक वस्तुना स्वरूपने बीजा पणे बतावनारूं मिथ्यावादीओनुं साधन ते फूदडीवाद.
९. जैनशासननो ‘ट्रेईडमार्क’ एटले अनेकान्तवाद. जैनशासननो कट्टर दुश्मन एटले फूदडीवाद.
१०. वस्तुनुं स्वयमेव प्रकाशतुं स्वरूप एटले अनेकान्तवाद. वस्तुना स्वरूपमां मिथ्याकल्पना वादीओए
मानेली कल्पना एटले फूदडीवाद.