Atmadharma magazine - Ank 016
(Year 2 - Vir Nirvana Samvat 2471, A.D. 1945)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्म: शाश्वत सुखनो मार्ग दर्शावतुं मासिक: आत्मधर्म
आत्मधर्म
(परम पूज्य सद्गुरु देवना ता. १४ – ९ – ४ ना व्याख्यानमांथी)
कोई एम कहे के आ ज्ञान पहेलांं नहोतुं अने निमित्त मळतां प्रगट्युं; जो मारामां ज होत तो पहेलांं
मने केम खबर न पडी?
तेनो उत्तर:– ज्ञान तो तारी पासे ज छे, तेमांथी ज प्रगटे छे. पहेलांं सामान्य शक्तिरूपे ज्ञान हतुं ते ज
विशेष रूपे (पर्याय रूपे) प्रगट थयुं छे.
जो सामान्य ज्ञान जे त्रिकाळ शक्तिरूपे छे तेने जीव माने, तो पोतानी सामान्य शक्तिनी ज आ विशेष
पर्याय थाय छे एम माने; पण जो सामान्य ज्ञान ज न माने तो “ मारुं आ विशेष ज्ञान परमांथी आव्युं, गुरु
मळ्‌या माटे ज्ञान थयुं” एम ज्ञानने पराश्रित जीव माने, के जे खोटुं छे.
दरेक द्रव्यमां गुणनो भंडार पड्यो छे; तेमांथी ज पर्यायमां आवे छे. आत्मामां पण ज्ञान वगेरेनो पूरो
भंडार भर्यो ज छे. तेमांथी ज पर्यायमां आवे छे. वांचवाथी ज्ञान थयुं ए वात खोटी छे. ज्ञान जे शक्तिरूपे छे
तेमांथी ज विशेष ज्ञान प्रगट्युं छे.
विशेष ज्ञान एटले ज्ञाननी वर्तमान पर्याय ए विशेष आव्युं क्यांथी? जे त्रिकाळ सामान्य ज्ञान पड्युं
छे तेमांथी ज आव्युं छे. अंदरना त्रिकाळी सामान्य ज्ञाननी जे प्रतीत करे ते विशेष ज्ञानने परनुं अवलंबन
माने नहीं. अने पोतानी जे विशेष पर्याय तेनुं अवलंबन पण न मानता, अंदरना त्रिकाळी ज्ञाननुं ज
अवलंबन माने छे.
त्रिकाळी सामान्य तो आखुं पड्युं छे, तेनी वर्तमान प्रगट पर्याय थोडी होवा छतां पण त्रिकाळी
सामान्य तो आखे आखुं पूर्ण ज छे. जेने ए त्रिकाळी सामान्यनी श्रद्धा नथी, ते विशेष निमित्तना अवलंबनथी
आव्युं छे एम माने छे.
आ तो वेपारी जेवी युक्ति छे. जेम वेपारी कहे के, भाई! घरमां पूरी मूडी नथी एटले बीजानां मोढां
बोलाववां पडे छे, बीजा पासेथी रूा. ल्ये तेनुं व्याज भरे छतां पण केटली ओशियाळी करवी पडे! पण जेना
घरमां पूरी मूडी होय ते बीजानी ओशियाळ जरापण न करे! तेम पोतामां ज्ञानरूपी मूडी तो त्रिकाळ पूरी ज छे,
तेमांथी पर्याय आवे छे. पोताना ज्ञान स्वभावनी जेने खबर छे ते पर निमित्तनी ओशियाळ करे नहीं.
निमित्तना अभावे ज्ञाननी उणप नथी–पण–सामान्य शक्ति तरफनी एकाग्रताना अभावे उणप देखाय
छे.
जो त्रिकाळी शक्तिनी श्रद्धा करे तो तेमांथी एकाग्र थईने पूर्ण ज्ञान काढे, ज्ञाननी अवस्था निमित्तने लईने
आवी नथी, पण त्रिकाळी शक्ति पडी छे तेमांथी आवी छे.
प्रश्न:– कुंची आवी तो ताळुं उघडयुं ने? तेम निमित्त आव्युं त्यारे ज्ञाननी पर्याय खीली ने?
उत्तर:– नहीं! ताळुं उघडे एवुं हतुं त्यारे कुंची आवी, आम वातमां गुलांट छे. (ताळा कुंचीनी जेम)
निमित्त द्वारा ज्ञाननी पर्याय खीली नथी, पण अंदर त्रिकाळी सामर्थ्य पड्युं छे तेमांथी ते सामान्यनुं विशेष
प्रगट्युं छे. ज्ञाननी पर्याय अद्धरथी आवी नथी पण अंदर जे त्रिकाळी शक्ति पडी छे तेना आधारे आवी छे.
अंदरनी शक्ति पडी छे तेनी प्रतीत नथी तेथी बहारना निमित्तथी ज्ञाननी पर्याय आवी एम अज्ञानी माने छे.
फुलखरणीमांथी जे तणखा झरे छे ते फुलखरणीमां ज सामर्थ्यरूपे हता ते प्रगट्या छे, तेम आत्मामां
एवो पावर भर्यो छे के तेमां एकाग्रतारूपी चिनगारी मूके तो फट फट निर्मळ पर्यायना तणखां फाटे!
ज्ञान वर्तमान अवस्थामां उणप वखते पण शक्तिमां पूरुं छे.
सामान्य ज्ञान अने
विशेष ज्ञान