: १२० : आत्मधर्म वैशाख : २००१
निश्चय अने व्यवहार
१. निश्चय कहे छे के–हुं स्वद्रव्य
आश्रये छुं तेथी मारा शब्दोनो जेम छे
तेम अर्थ करवो ते खरूं छे.
व्यवहार कहे छे के–हुं
पर्यायाश्रित छुं माटे मारा कथननो
शब्दार्थ करवो ते खोटुं छे.
२. निश्चय–जीवना स्वाभाविक
भावने अवलंबीने हुं प्रवर्तुं छुं.
व्यवहार–हुं तो जीवना
औपाधिक भावने (अपूर्ण–हीणी दशा,
वर्णादिक पर वस्तु के निमित्तने)
अवलंबीने वर्तुं छुं.
३. निश्चय–व्यवहार जे कहे छे
तेनो शब्दार्थ खरो नथी तेथी ते
शब्दार्थनो हुं निषेध करूं छु; व्यवहार तो
टुंकी कथन पद्धति छे.
व्यवहार–हुं पर द्रव्यने
अवलंबीने वर्तुं छुं. माटे हुं जे कथन करूं
छुं तेनो शब्दार्थ खरो नथी; तेथी ते
शब्दार्थने निश्चयनय निषेधे छे.
४. निश्चय–जे व्यवहारना
शब्दो छे ते बीजा (अ) ना भावने
बीजा (ब) नो भाव कहे छे तेथी तेने
कहेनारा टुंकामां जे शब्दो छे ते प्रमाणे
अर्थ करवामां आवे–तेने हुं निषेधुं छुं.
व्यवहार–मारा जे शब्दो छे ते
बीजा (अ) ना भावने बीजा (ब) नो
भाव कहे छे. तेथी मारा टुंकामां जे शब्दो
छे ते प्रमाणे तेनो अर्थ करवानुं निश्चय
निषेधे छे ते बराबर छे.
प. निश्चय–हुं बीजाना भावने
बीजानो कहेतो नथी. तेथी मारा जे
शब्दो छे तेम ज खरो अर्थ मानवो.
व्यवहार–जे भाव जेम छे तेम
हुं कहेतो नथी, पण जे भाव जेम छे तेम
निश्चय कहे छे; माटे मारा कथनमांथी
पण निश्चय प्रमाणे ज अर्थ काढवो.
६. निश्चय–मारा कथननो अर्थ
जेम छे तेम ज करवो, पण व्यवहार
कथननो अर्थ एम करवो जोईए के ते
एक समयनी अधूरी पर्याय, विकारी
पर्याय, पर द्रव्य अथवा निमित्त शुं छे
ते ज मात्र कहे छे, माटे तेनो ते मुजब
अर्थ करवो ते ज सत्य छे.
व्यवहार–मारा कथननो अर्थ
एम करवो जोईए के–हुं एक समयनी
अधूरी पर्याय, विकारी पर्याय, परद्रव्य,
अथवा निमित्त शुं चीज छे ते कहुं छुं,
तेथी तेटला पूरतो ज अर्थ करवो ते
खरूं छे. मारो शब्द मुजब अर्थ करवो
ते खोटुं छे. [आधारो माटे जुओ
समयसार गाथा ५६ थी ६० तथा ६६
थी ६८]
निश्चय अने व्यवहारना
उपरना कथनथी सिद्ध थाय छे के–
निश्चयनय व्यवहारनो निषेधक छे.
तेथी निश्चयना अर्थ कई रीते समजवा
अने व्यवहार कथनना अर्थने कई रीते
फेरवी नाखवा ते नीचे द्रष्टांत द्वारा
समजाववामां आवे छे.
अजीव व्यवहार निश्चयनुं कथन निश्चय व्यवहारनी संधि व्यवहारना कथननो खरो
नां अर्थ
द्रष्टांतो नुं कथन अने व्यवहारनो निषेध
१ घीनो घडो घडो माटीमय छे घी अने घडो एक घडो माटीनो छे. घीनो
घी–मय नथी. जगाए रहेला छे, स्व नथी. परंतु घडो अने
क्षेत्रे बन्ने भिन्न छे. घी एक क्षेत्रे रहेलां छे
तेटलो अर्थ खरो, पण
घडो घीनो नथी; एटले
भाषाना कथन प्रमाणे
अर्थ साचो नथी.
२ पाणीनो कळशो धातुमय छे पाणी अने कळशो एक कळशो धातुनो बनेलो
कळशो पाणीमय नथी. आकाश क्षेत्रे अवगाहे छे, पाणीनो नथी. एक
छे, स्वक्षेत्रे भिन्न छे. जगाए रहेलां छे माटे
तेम बोलाय छे, पण
तेनो भाषा प्रमाणेनो
अर्थ साचो नथी.
३ तलवारनुं म्यान म्यान लाकडामय छे उपर प्रमाणे समजी लेवुं उपर प्रमाणे समजी लेवुं
तलवारमय नथी.
४ गादलानो ओछाड पोताना
ओछाड वस्त्रमय छे–गादलामय नथी. ”
प दवानी शीशी शीशी काचमय छे, दवामय नथी. ”
६ दागीनानी तीजोरी लोढामय छे
तिजोरी दागीनामय नथी. ”
७ रूपीयानी पेटी पेटी लाकडामय छे रूपीयामय नथी.
८ खाटलानी पाटी पाटी सुतरमय छे, ”
खाटलामय नथी.