Atmadharma magazine - Ank 021
(Year 2 - Vir Nirvana Samvat 2471, A.D. 1945)
(Devanagari transliteration).

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: १४२ : आत्मधर्म जेठ : २००१
श्री सनातन जैन शिक्षण वर्ग
सनगढ
परीक्षा
ता. ३० – प – १९४प
समय: सवरन ९ – ३० थ १










सुवर्णपुरीमां दर वर्षे
उनाळानी रजा दरमियान जैन
स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट तरफथी
एक शिक्षण वर्ग खोलवामां
आवे छे अने तेमां जैन
दर्शनना सिद्धांतोनुं शिक्षण
आपवामां आवे छे. आ वर्षे
खोलवामां आवेला वर्गमां
१प० विद्यार्थीओ दाखल थया
हता. तेमने श्री जैन सिद्धांत
प्रवेशिका अध्याय–२, छह ढाळा
तथा आत्मसिद्धिशास्त्र
शीखववामां आव्या हता.
विद्यार्थीओनो समजवानो प्रेम
अने उत्साह, शिक्षकोनी
समजाववानी शैली, अने पूज्य
गुरुदेवश्री तरफथी वारंवार
मळती उत्साहवर्धक
प्रेरणाओथी अभ्यासक्रम घणी
ज सुंदर रीते चाल्यो हतो. वर्ग
पूरो थतां परीक्षा लेवामां आवी
हती–तेमां पूछायेल प्रश्न–पत्र
बाजुमां दर्शाव्या मुजब हतुं...
गमे ते त्रण प्रश्नोना जवाब लखो.
१. (क) संसारवृक्षनुं मूळियुं शुं छे अने ते मूळने छेदवा मुमुक्षुए शुं करवुं
ते स्पष्ट रीते समजावो.
(ख) धर्म करवो कोने सहेलो पडे–धनवानने के निर्धनने? शा माटे?
(ग) श्री समयसारनो कोई कळश अर्थ साथे लखो.
२. (क) नीचेना पदार्थोमांथी द्रव्यो, गुणोने पर्यायो ओळखी काढो. १६
(१) केवळज्ञान, (२) गळपण, (३) निश्चयकाळ, (४) अरूपीपणुं,
(प) ताव, (६) ताव उपर द्वेष, (७) समुद्घात, (८) गतिहेतुत्व.
(ख) उपरना आठ पदार्थोमां जे द्रव्यो होय तेमनां मुख्य लक्षण कहो.
(ग) उपरना पदार्थोमां जे गुण होय ते कया द्रव्योना छे ते लखो.
(घ) उपरना पदार्थोमां जे पर्यायो होय ते कया गुणोनी छे ते जणावो.
३. (क) निश्चयचारित्र एटले शुं? चारित्रने ‘वेळुना कोळिया’ जेवुं केम
कहेवामां आवे छे?
(ख) जघन्य, मध्य ने उत्तम अंतरात्मा कोने गणवामां आवे छे?
महाकष्टथी वेळुना कोळिया जेवुं चारित्र पाळनार पंचमहाव्रतधारी
मुनि अंतरात्माना त्रण भेदोमांथी कया भेदमां समाय?
(ग) आठ कर्मना नाम लखो. ज्ञानावरणीय कर्म आत्मा पर जोर
करीने तेना ज्ञानने रोके छे के नहि ते समजावो.
(घ) त्रींद्रिय जीवोने कया कया द्रव्यप्राण होय? नव द्रव्यप्राण कया
जीवने होय? कया जीवने एक्के द्रव्यप्राण न होय?
(ड) निकल परमात्मा कोने कहेवामां आवे छे? तेमने कोई परद्रव्यनो
संग नहि होवा छतां सुख केम होय?
संबंधी शी भूलो थाय छे ते दाखलाओ आपी स्पष्ट करो.
(ख) केटलां द्रव्यो अनादि अनंत छे? कया गुणने लीधे? जीवना
अनुजीवी विशेष गुणोमांथी पांचनां नाम लखो.
(ग) आंखथी श्री सीमंधर भगवाननां दर्शन करवां ते दर्शनचेतनानो
व्यापार छे के ज्ञानचेतनानो? दर्शनचेतनाना चार भेदोमांथी अथवा
ज्ञानचेतनाना पांच भेदोमांथी क्यो भेद ते वखते वर्ते छे?
(घ) ‘अनेकान्त’ समजाववा बे दाखला आपो.
आत्मा कोई पण पुद्गलने न हलावी शके एम मानवाथी एकांत थई
जाय छे; आत्मा सूक्ष्म पुद्गलने–परमाणुने–न हलावी शके, परंतु स्थूल–
पुद्गलरूप डुंगराओने तो खोदी शके एम मानवुं ते अनेकान्तनी साची
मान्यता छे’ आ कथन खरुं छे के नहि ते समजावो.