आजे श्री समयसारजीनी प्रतिष्ठानो मांगलिक दिवस छे. स्वाध्याय मंदिरमां समयसारजीनी विधिपूर्वक
अनुभवथी अंदर उतरीने जुए तो समजाय तेवुं छे; आमां तो अलौकिक चमत्कारिक मंत्रो छे.
पाणीनी ऊंडाईनुं माप करतां आवडे ते कांठेथी अंदर उतरे तो तेने पाणीनी वास्तविक ऊंडाईनो ख्याल आवे.
तेम सर्वज्ञ भगवानना दिव्यध्वनि द्वारा जे द्वादशांगी श्रुतनो एकधारावाही धोध छूटयो, तेमांथी आ शास्त्र
उतरीने समजे तो आनी मध्यमां तो केवळज्ञाननां रहस्य भरेलां छे.
सीमंधर भगवान पासे गया हता. सहज स्वभावनी अंतर आनंद दशामां झुलता अने बहारमां सहज
दिगम्बर दशा–एवा कुंदकुंदाचार्यदेव सीमंधर भगवान पासे गया हता अने त्यां एक अठवाडियुं रह्या हता. आ
वात त्रण काळ त्रण लोकमां फरे तेवी नथी. शिलालेखो के शास्त्रना पानामां लख्युं छे–माटे आ कहेवाय छे एम
नथी, पण आ वात अंतरथी सिद्ध थई गई छे.
निमित्तरूप वाणीमां पण अभेद आवे छे. ज्यां सुधी क्रोधादि छे त्यां सुधी विकार छे, आत्मा अनंत गुणनो
अखंड पिंड छे तेथी कोई गुणमां विकार होय त्यां अवस्था एकरूप रहेती नथी–पण भेद पडे छे–तेथी तेनी
वाणीमां पण घणा अक्षरो वडे भेद पडे छे. सर्वज्ञ परमात्माने संपूर्ण दशा प्रगटतां पर्याय अभेद थई गई
एटले तेमनी वाणी पण अभेद–एकाक्षरी थई गई, ते वाणीमां बधी भाषा समाई जाय छे; ते वाणी सांभळवा
गणधरो, ईन्द्रो, चक्रवर्ती, मनुष्यो, पशु, पक्षी बधा आवे छे अने सौ पोतपोतानी भाषामां समजे छे.
क्षेत्रमां श्री सीमंधर परमात्मा जीवनमुक्त दशामां तीर्थंकर पदे बिराजे छे, तेमनी पासे भरत क्षेत्रना महा मुनि
श्री कुंदकुंदाचार्य गया अने त्यांनी धोधमार दिव्यवाणी लई आवीने ते उपरथी आ समयसार आदि शास्त्रो
रच्यां. आमां तो दिव्यध्वनिनां रहस्यने उतार्युं छे, तेनुं गूढ रहस्य उपरथी जोतां समजाय नहि, पण अंतरथी
जुए तो तेनो अपार महिमा समजाय. समयसार मध्यमां तो कोई अमाप केवळज्ञान भर्यां छे, शुं कहीए...?
आ समयसारनी वात शब्दथी कहेवाय तेवी नथी. शब्दथी पार छे–मनथी पण पार छे.