केवां अने तेओ शुं कहे छे ए बधानुं अवलंबन एम निर्णय करावे छे के तुं ज्ञान छो, आत्मा ज्ञान स्वरूपी ज
छे, ज्ञान सिवाय बीजुं कांई तुं करी शकतो नथी.
करवुं के पुण्य–पापना भाव करवा ते तारूं स्वरूप नथी’ आम जे बतावता होय ते साचां देव–गुरु–शास्त्र छे,
अने आ प्रमाणे जे समजे ते ज देव–गुरु–शास्त्रना अवलंबने श्रुतज्ञानने समज्यो छे. पण जे रागथी धर्म
मनावता होय, शरीराश्रित क्रिया आत्मा करे एम मनावता होय, जड कर्म आत्माने हेरान करे एम कहेता होय
ते कोई देव–गुरु–शास्त्र साचां नथी.
धर्म बतावे, शरीरनी क्रियानो कर्ता आत्मा छे एम बतावे अने रागथी धर्म बतावे ते बधा कुदेव, कुगुरु,
कुशास्त्र छे. केमके तेओ जेम छे तेम वस्तु स्वरूपना जाणकार नथी अने तेथी ऊल्टुं स्वरूप बतावे छे. वस्तु
पहेलांंनी वात छे. जेणे स्वभावना लक्षे श्रुतनुं अवलंबन लीधुं छे ते अल्पकाळमां आत्मअनुभव करशे ज. प्रथम
विकल्पमां एम नक्की कर्युं के परथी तो हुं जुदो, पुण्य–पाप पण मारूं स्वरूप नहि, मारा शुद्ध स्वभाव सिवाय देव–
अनुभव थया वगर रहेशे ज नहि. अहीं शरूआत ज एवी जोरदार उपाडी छे के पाछा पडवानी वाज ज नथी.
अल्पकाळमां पुण्य–पाप रहित स्वभावनो निर्णय करीने अने तेनी स्थिरता करीने वीतराग थई पूर्ण थई जशे.
पूर्णनी ज वात छे–शरूआत अने पूर्णता वच्चे आंतरो पाडयो ज नथी. शरूआत थई छे ते पूर्णताने लक्षमां
लईने ज थई छे. संभळावनार अने सांभळनार बंनेनी पूर्णता ज छे. जेओ पूर्ण स्वभावनी वात करे छे ते
देव–गुरु अने शास्त्र ए त्रणे तो पवित्र ज छे, तेना अवलंबने जेणे हा पाडी ते पण पूर्ण पवित्र थया वगर रहे
ज नहि... पूर्णनी हा पाडीने आव्यो छे ते पूर्ण थशे ज... आ रीते उपादान–निमित्तनी संधि साथे ज छे.
छो? ना, ना. तुं तो ज्ञान करनार ज्ञानस्वभावी छो. परने ग्रहनार के छोडनार तुं नथी, जाणनार ज तुं छो.
आवो निर्णय ते ज धर्मनी पहेली शरूआतनो (सम्यग्दर्शननो) उपाय छे. शरूआतमां एटले के सम्यग्दर्शन
पहेलांं आवो निर्णय न करे तो ते पात्रतामां पण नथी. मारो सहज स्वभाव जाणवानो छे–आवो श्रुतना
अवलंबने जे निर्णय करे छे ते पात्र जीव छे. जेने पात्रता प्रगटी तेने अंतर अनुभव थवानो ज छे. सम्यग्दर्शन
ज्ञानस्वभावी आत्मानो निर्णय करे छे.
ज्ञानस्वभावी छुं तेम जगतना बधा आत्माओ ज्ञानस्वभावी छे, तेओ पोते पोताना ज्ञानस्वभावनो निर्णय
चूकया छे तेथी दुःखी छे, तेओ जाते निर्णय करे तो तेओनुं दुःख टळे. हुं कोईने फेरववा समर्थ नथी. पर जीवोनुं
दुःख हुं टाळी