त्यारथी मरूं त्यार सुधीनो ज छुं एवी जीवनी महा ऊंधी मान्यता छे केमके मारा मरण पछी पैसा रहेशे तेनुं
वील करूं एम जीव माने छे परंतु मरण पछी क्यांक जवानो छुं माटे हुं मारां कल्याणने माटे कांईक करूं एम ते
विचारतो नथी आ जीवनी अनादिथी चाली आवती, कोईना शीखव्या वगरनी महा ऊंधी मान्यता छे तेने
अगृहीत मिथ्यात्व कहे छे. आ ऊंधी मान्यता पोते पोताथी करी छे कोईए शीखडावी नथी; जेम छोकराने रडतां
शीखडाववुं न पडे तेम जन्मुं–मरूं त्यां सुधीनो हुं छुं, आवी मान्यता जीवने कोईना शीखव्या वगर थई छे.
शरीर हुं छुं, पैसामां मारूं सुख छे–वगेरे परवस्तुमां पोतापणानी मान्यता ते अगृहीत ऊंधी मान्यता जीवने
अनादिथी चाली आवे छे.
आव्या वगर रहेतो नथी तेथी तेने अव्यक्तपणे, पुण्यथी मने सुख थाय एवी मान्यता छे. बहारनी सगवडनुं
कारण पुण्य छे अने हुं पुण्य करूं तो मने एनुं फळ मळशे एवुं कोईना शीखव्या वगरनुं अनादिनुं मिथ्याज्ञान
छे. पुण्यथी मने लाभ थाय अने परनुं हुं करी शकुं एम ए अनादिथी माने छे.
पुण्यथी लाभ थाय एम अनादिथी ते माने छे, एटले (१) पुण्यथी मने लाभ थाय अने (२) शरीर ते हुं
तथा शरीरना कार्य हुं करी शकुं आवी ऊंधी मान्यता अनादिथी कोईना शीखव्या वगर जीवने चाली आवे छे. ते
ज महा भयंकरमां भयंकर दुःखना कारणरूप भूल छे. पाप करनार जीव पण पुण्यथी लाभ माने छे केमके ते
पोते पोताने पापी कहेवडाववा मागतो नथी एटले के पोते पाप करतो होवा छतां तेने पुण्य भलुं लागे छे, आ
रीते अज्ञानी–मिथ्याद्रष्टि जीव अनादिथी पुण्यने सारूं माने छे.
ते केम माने? न ज माने. आ महा भयंकर भूल जगतना निगोदथी मांडीने सर्व अज्ञानी जीवोने होय छे ते
अगृहीत मिथ्यात्व छे.
ते नक्की करवा माटे बीजा पासे सांभळ्युं अगर वांच्युं. त्यां उलटुं नवुं लफरूं चोडयुं. ते नवुं लफरूं शुं? बीजा
पासे सांभळीने एम मानवा लाग्यो के जगतमां बधा थईने एम ज जीव छे, बाकी बधुं भ्रम छे. कांतो गुरुथी
आपणने लाभ थाय, कांतो भगवाननी कृपाथी आपणे तरी जशुं, कांतो कोईना आशीर्वादथी कल्याण थई जशे,
कांतो वस्तुने क्षणिक मानी वस्तुओनो त्याग करीए तो लाभ थाय अथवा तो शुं जैनधर्मे–एक ज धर्मे कांई
साचापणानो ईजारो राख्यो छे? माटे जगतना बधा धर्मो साचा छे एम अनेक प्रकारे (आत्मानी साची
समजण करवाने बदले) बहारनां नवा लफरां ग्रहण कर्या. परंतु भाई! जेम ‘एकने एक बे’ ए त्रणे काळे
अने सर्वे क्षेत्रे एक ज सत्य छे तेम जे वस्तु स्वभाव– वस्तुधर्म छे ते ज वीतरागी विज्ञान कहे छे माटे ते त्रणे
काळे सत्य ज छे बीजुं कांई पण कथन सत्य नथी.
पोताने मन–विचारवानी शक्ति मळी होवा छतां तेनो सदुपयोग न करतां तेनो दुरोपयोग कर्यो. तेथी एना
फळमां तेनी विचारशक्तिनुं मरण थया वगर रहे ज नहि. मंद कषायना फळरूपे विचार–