जैनदर्शन शिक्षणवर्ग राखवामां आवेल, तेमां अभ्यास करतां
उ–अगुरु लघुत्व गुण बे जातना छे, एक अनुजीवी अने बीजो प्रतिजीवी; तेमांथी अनुजीवी अगुरुलघुत्व गुण तो
अत्यारे प्रगट नथी, सिद्धदशामां ते गुण प्रगटे छे.
उ–अव्याबाध गुण प्रगटे छे.
१४. प्र–सिद्धने साता होय के न होय?
उ–सिद्धने साता–असाता एकेय न होय.
१५. प्र–सिद्धने कर्मनो उदय आवे तो अवतार ल्ये के नहि?
उ–सिद्धने कदापि कर्मनो उदय आवे नहि अने तेमने कदी पण अवतार होय नहि, ए तो जन्म–मरण रहित थया छे.
१६. प्र–सम्यग्दर्शन छे ते पुण्य छे के गुण छे?
उ–सम्यग्दर्शन ते पुण्य नथी पण धर्म छे, अने ते गुण नथी पण श्रद्धा गुणनी पर्याय छे.
१७. प्र–ज्यारे आत्मानो मोक्ष थाय त्यारे केवो आकार होय?
उ–लगभग छेल्ला शरीर जेवो (कांईक ओछो) आकार.
१८. प्र–जगतमां द्रव्य केटलां? तेमां सौथी मोटुं कयुं? सौथी महत्तावाळुं कयुं? अने सौथी नानुं कयुं?
उ–जगतमां छ द्रव्य छे; आकाश द्रव्य सौथी मोटुं छे; जीव द्रव्य सौथी महत्तावाळुं छे, केमके ते ज बधा द्रव्योने
उ–हळवो स्पर्श ते गुण नथी पण पर्याय छे. पुद्गल द्रव्यना स्पर्श नामना अनुजीवी गुणनी ते पर्याय छे.
२०. प्र–सूक्ष्मत्व एटले शुं? ‘सूक्ष्मत्व ते आत्मानो अनुजीवी गुण छे’ ए वाक्य बराबर छे?
उ–सूक्ष्मत्व एटले ईन्द्रियोना विषयरूप स्थूलतानो अभाव; सूक्ष्मत्व ते आत्मानो अनुजीवी गुण नथी पण
उ–वस्तुओना परिणमनमां जे निमित्त थाय तेने काळ द्रव्य कहेवाय छे. समय, मिनिट, कलाक वगेरे तेनी पर्याय छे.
२२. प्र–चंद्र उग्यो, सूर्य आथम्यो–तेमां उत्पाद–व्यय–धु्रव कई रीते छे ते गोठवो?
उ–चंद्र अने सूर्य बंने जुदी जुदी वस्तु छे, उत्पाद–व्यय–धु्रव एक ज वस्तुमां होय छे, बे जुदी वस्तुमां उत्पाद–
उ–जीव द्रव्यमां एक अगुरुलघुत्वगुण सामान्य छे अने एक विशेष छे; तेमांथी जे सामान्य छे ते अनुजीवी छे
उ–धर्मास्तिकाय द्रव्य स्थिर छे, ते गति करतुं ज नथी.
२५. प्र–निगोदने स्थावर जीव कही शकाय के नहि? अने स्थावर जीवने निगोद कही शकाय के नहि?
उ–निगोदने स्थावर जीव कही शकाय छे पण बधा स्थावरने निगोद कही शकाता नथी. निगोद सिवाय बीजा
उ–काळ सिवायना पांच द्रव्यो अस्तिकाय छे; काळ द्रव्य अस्तिकाय नथी, एक पुद्गल परमाणु पण अस्तिकाय
उ–अस्तिकाय ते अनेक प्रदेशवाळुं द्रव्य छे. जे द्रव्य अनेक प्रदेशवाळुं होय तेने अस्तिकाय कहेवाय छे.
२८. प्र–वेदनीय कर्मना नाशथी क्यो गुण प्रगटे छे? ते अनुजीवी के छे प्रतिजीवी?
उ–अव्याबाध गुण प्रगटे छे ते प्रतिजीवी गुण छे.
२९. प्र–अभव्यत्व ते अनुजीवी गुण छे के प्रतिजीवी?
उ–अभव्यत्व ते अनुजीवी गुण छे, केमके ते कोई परना अभावनी अपेक्षा राखतो नथी.