ः १३४ः आत्मधर्मः ४३
* राणपुरमां श्री जिनमंदिरनी तैयारी *
वींछीया अने राजकोट पछी, राणपुरमां श्री जिनमंदिर तथा श्री स्वाध्यायमंदिर बंधाववानो निर्णय त्यांना
सत्धर्मप्रेमी मुमुक्षुओए घणा उल्लासपूर्वक कर्यो छे अने ते माटे नीचे मुजब रूा. १२००० नक्की थया छे–६०००)
शेठ नारणदास करशनजी–राणपुर. ४०००) शेठ प्रेमचंद मगनलाल–राणपुर. २०००) शेठ छोटालाल नारणदास–
राणपुर. कुल्ले १२०००) आ महा मंगळ कार्यनी शरूआत माटे ते मुमुक्षुओने धन्यवाद घटे छे. उपर्युक्त जाहेरात
सुवर्णपुरीमां श्री अखिल भारतवर्षिय दि. जैन विद्वत् परिषदना त्रीजा अधिवेशन प्रसंगे थई हती.
* बोटादमां श्री जिनमंदिनी तैयारी *
बोटाद शहेरना सत्धर्मप्रेमी मुमुक्षुओ तरफथी शाह जेठालाल संघजीभाईए
चैत्र सुद १० ता. ३१–३–४७ना रोज नीचे मुजब जाहेरात करी हती.
“परम पूज्य सद्गुरुदेवना चरणमां अत्यंत भक्ति भावे नमस्कार करीने नम्रतापूर्वक बे शब्दो बोलवानी
रजा लउं छुं.
पूज्य गुरुदेव! आपनो बोटाद उपर अनहद उपकार छे. व्यक्तिगत रीते कहुं तो मारा प्रत्ये अने मारा
कुटुंब प्रत्ये आपनो खूब ज करुणाभाव छे. हुं ज्यारे ज्यारे आपना दर्शन अर्थे आवुं छुं त्यारे त्यारे आप मने
वारंवार संबोधीने केटलाक मीठा शब्दो संभळावो छो ते मारुं अहोभाग्य छे. आ बधुं ए सूचवे छे के आपना
हृदयमां मारा माटे खूब ज अनुकंपा छे अने कोई पण रीते आ जीव सद्धर्म पामे अने तेनो उद्धार थाय– तेवो
भाव आपना हृदयमां वरते छे.
आपना प्रवचनोनी अमृतधारा अहोनिश वही रही छे अने ते झीलवा हिंदुस्तानना खूणे खूणेथी मुमुक्षु
भाईओ आ तीर्थधाममां आवे छे अने ए रीते सनातन जैनधर्मनो प्रचार, एकला काठियावाडमां ज नहि पण
आखा हिंदुस्तानमां थई रह्यो छे, अने सद्धर्मनो विजय डंको वागी रह्यो छे.
हिंदभरना विद्वान पंडितो आपना चरणमां शीष नमावी तेओ नवुं चेतन प्राप्त करी गया छे, एम तेओना
भाषणो अने ठरावो वांचता स्पष्ट जणाय छे. श्री विद्वत् परिषदमां आपने श्रद्धांजलि अर्पतो जे ठराव सर्वानुमते
थयो छे ते वांची मारुं हृदय उल्लसित थयुं छे.
वळी में जाण्युं के वींछीया जेवा गाममां जिनमंदिर अने स्वाध्याय मंदिरना पाया नंखाया...राजकोट शहेरमां
पण जिनमंदिर अने स्वाध्यायमंदिरनो फाळो थयो. राणपुरमां पण ते अंगे फाळानी शरूआत थई छे. हवे मुख्यत्वे
बाकी रह्युं अमारुं बोटाद. खरी रीते बोटादे तो पहेल करवी जोईए; ते तो गुरुदेवनुं खूब ज ऋणी छे. तेमना
उपकारनो बदलो तो अमे कई रीते वाळी शकीए? छतां अमारो भक्तिभाव प्रदर्शित करवा पहेलामां पहेली तके
बोटादमां जिनमंदिर अने स्वाध्याय मंदिर थवा ज जोईए...आवो भाव मारा हृदयमां केटलाक दिवसोथी घोळाया
करतो हतो; ते भावने आजे आपनी समक्ष उल्लासपूर्वक जाहेर करवा रजा लउं छुं.
बोटाद माटे जिनमंदिर अने स्वाध्याय मंदिरना फाळानी पहेल करतां हुं मारा कुटुंब तरफथी रूा. २०००१)
अंके वीस हजार ने एक (शाह जेठालाल संघजीभाई तरफथी ४००१) तेमना धर्मपत्नी दुधीबेन तरफथी ४०००)
समताबाई माणेकलाल तरफथी ४०००) बाबुभाई माणेकलाल शाह तरफथी ४०००) अने नौतमलाल जेठालाल
शाह तरफथी ४०००) ए रीते एकंदर रूा. २०००१) जाहेर करूं छुं. हुं आशा राखुं छुं के बोटादना बीजा भाईओ
तेमज आपणा सौ मुमुक्षु भाईओ आ सत्कार्यमां पोतानो योग्य फाळो नोंधावी आ मांगळिक कार्य परिपूर्ण
करशे...” ...
उपर्युक्त भाषण पूरुं थतां बोटादना गांधी रायचंद रतनशी तरफथी रूा. ३००१) अने गांधी चत्रभुज
रतनशी तरफथी २००१) जाहेर करवामां आव्या हता.
बोटादना भाईओए आ सत्कार्य माटे जे शरूआत करी छे ते घणी ज सुंदर छे...अत्यार सुधीमां वींछीया,
राजकोट, राणपुर अने बोटाद ए चार शहेरमां श्री जिनमंदिर अने श्री स्वाध्याय मंदिरनी तैयारी थई छे, आवा
महान सत्कार्य माटे उल्लास दर्शाववा बदल ते चारे गामना सर्वे मुमुक्षुभाईओने घणा अभिनंदन अने वधाई
घटे छे.
* * *