द्वितीयश्रावणः२४७३ः २२९ः
मंडप बंधायो–ए ज एम सूचवे छे के दिन प्रतिदिन सत्धर्मनी प्रभावनामां वृद्धि थई रही छे अने जगतमां सत्
समजनारा मुमुक्षु जीवो हंमेशां वधता जाय छे.
(६) श्री सरस्वती ज्ञान भंडारः–श्री मंडपनी अंदर ज आनो समावेश थाय छे. जेम जेम सत्ना
जिज्ञासुओनी संख्या वधती गई तेम तेम सत् श्रुत शास्त्रोनुं प्रकाशन पण विकास पाम्युं. अने तेने माटे पण
जग्यानी संकडाश थवा लागी. तेथी आ मंडपमां १२ मोटा कबाटो राखीने तेमां शास्त्र भंडार राखवामां आवे छे.
उपरांत श्री जैनस्वाध्याय मंदिरमां पण कबाटो छे, तेमां वर्तमानमां प्राप्त जैन शासनना लगभग बधा ज शास्त्रो
छे, पू. गुरुदेवश्रीए लगभग ए बधा ज शास्त्रो वांची लीधा छे.
(७) श्री खुशाल जैन अतिथिगृहः–जेमां महेमानोने माटे सगवडता होय छे.
(८) श्री कुंदकुंद मुमुक्षु निवासः–जेमां मुमुक्षुओ वसी रह्यां छे.
आ बधा उपरांत, सोनगढनी आसपास पण सुंदरता छे. जेने सहस्त्र आम्रवन (सहेसावन) नी उपमा
मळी छे एवी आंबावाडी छे,–के जेमां विचरती वखते मुमुक्षुना हृदयमां संतोना संस्मरण विशेषपणे जागे छे,–ने
जेमां गया जेठ सुद १प ने दिवसे ‘वनयात्रा’ नो महोत्सव थयो हतो.
जिनमंदिरनी अगाशीमां ऊभा ऊभा ज तीक्ष्ण द्रष्टिवाळाने दक्षिण दिशामां मात्र सात गाउ पर आवेल,
पांडवादि संतोना चरणथी पावन थयेल शत्रुंजय तीर्थ देखाय छे, अने तेनी उपरना मंदिरो पण देखाय छे.
सोनगढधामनी महत्ता मात्र त्यांना आध्यात्मिक तत्त्वज्ञानथी ज छे–के जे तत्त्वज्ञान पू. गुरुदेवश्री निरंतर
समजावी रह्या छे. तेथी सोनगढनी खरी शोभा तेओश्रीथी ज छे. तेओश्रीनी छत्रछायामां तत्त्वज्ञानमय वातावरण
आखोय दिवस एवुं जामेलुं होय छे के सोनगढमां वसनार मुमुक्षुओ संसारनी जंजाळोने भूली ज जाय छे. तेओश्री
जे अपूर्व तत्त्वज्ञान समजावे छे ते तत्त्वज्ञान सीधुं आत्म स्वभावने स्पर्शनारूं अने आखी दुनियाथी जुदुं छे.
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बुधवार ता. १३–८–४७ थी ता. २०–८–४७ सुधीना दिवसो दरम्यान सोनगढमां धार्मिक महोत्सव
उजवायो हताे
. ए दिवसो दरमियान थएला कार्यक्रमनी टूंक माहिती अत्रे आपवामां आवे छे.
उत्सवना बधा दिवसो दरमियान सामान्यपणे नीचे मुजब कार्यक्रम हतो...
सवारे प।।।–६ श्री देवगुरुशास्त्र वंदन–चर्चा.
६।।–७।। श्री जिनमंदिरमां पूजन–स्तवनादि
८–९ पूज्य गुरुदेवश्रीनुं व्याख्यान. (समयसारजीमां पुण्य–पाप तथा आस्रव अधिकारमांथी)
बपोरे १।।–२।। पहेला त्रण दिवस उपादान–निमित्तना दोहरानुं श्री रामजीभाईए वांचन करेलुं, पछीना
दिवसोमां प्रवचनसार हरिगीत तथा समयसार–हरिगीतनी स्वाध्याय.
३–४ पूज्य गुरुदेवश्रीनुं व्याख्यान. (पद्मनंदी पंचविंशति सूत्रना दान अधिकार उपर)
प–प।।।.
६।।।–७। आरति (श्री जिनेन्द्रदेव, कुंदकुंद आचार्यदेव तथा सत्श्रुतनी)
७–८ प्रतिक्रमण.
८–९ रात्रिचर्चा.
ए उपरांत नीचेना खास प्रसंगो ऊजवाया हता–
स्वतंत्रतानो ध्वज
ता. १पमी ए भगवानश्री कुंदकुंद–प्रवचनमंडप उपर कुंदकुंद भगवाने बतावेली स्वतंत्रतानो ध्वज वाजते–
गाजते चडाववामां आव्यो हतो. अने ते प्रसंगे “कुंदकुंद झंडा है हमारा...” ए स्तवन गावामां आव्युं हतुं.
आत्मसिद्धि–स्वाध्याय
ता. १६मी ए रात्रे चर्चाने बदले आत्मसिद्धिनी स्वाध्याय करवामां आवी हती.
प००२) रू. नुं दान
ता. १७मी ए बपोरे दान अधिकारनुं व्याख्यान सांभळ्या पछी, पोरबंदरना भाईश्री नेमिदास
खुशालभाईए पोताना आंगणे पू. गुरुदेवश्री वगेरेना आहारदाननो लाभ मळ्यो तेना उल्लासथी पोता तरफथी रू.
प००२) ना दाननी जाहेरात करी हती–जेमां २प०१) पोताना नामथी, ने २प०१) पोताना धर्मपत्नीना नामथी
आप्या हता.