माटे जीवना भावने लीधे बहारमां खातमुहूर्तनी क्रिया थई–ए वात खोटी छे. जीव मात्र निमित्त उपर लक्ष करे
अथवा लक्ष छोडे, पण निमित्तरूप परपदार्थोमां ते कांई फेरफार करी शके नहि. आवो वस्तुनो स्वभाव ज छे; आ
समजवुं ते भेदज्ञान छे.
समयनी पर्यायना पुरुषार्थथी प्रगटयुं छे.
ते समये लूगडांंनां परमाणुओनी अवस्थामां क्षेत्रांतरनी तेवी ज लायकात हती तेथी ज ते खस्यां छे. आत्माए
विकल्प कर्यो माटे ते विकल्पने आधीन लूगडांं छूटी गयां–एम जो होय तो विकल्प ते कर्ता थयो अने लूगडांं छूटयां
ते तेनुं कर्म थयुं एटले के बे द्रव्यो एक थई जाय. तेवी ज रीते लुगडांं छूटवानां हतां माटे जीवने विकल्प आव्यो एम
पण नथी; केमके जो एम होय तो लुगडांंनी पर्याय ते कर्ता ठरे अने विकल्प आव्यो ते तेनुं कर्म ठरे, एटले के बे द्रव्यो
एक थई जाय. पण ज्यारे स्वभावना भानपूर्वक चारित्रनो विकल्प ऊठे अने चारित्र ग्रहण करे त्यारे वस्त्र
छूटवानो प्रसंग सहजपणे तेना कारणे होय छे. पण ‘में वस्त्र छोडयां अथवा तो मारो विकल्प निमित्त थयो तेथी
वस्त्र छूटी गयां’ एवी मान्यता ते मिथ्यात्व छे. वीतरागीचारित्र पहेलां पंचमहाव्रतादिनो विकल्प आव्या वगर न
रहे, पण ते विकल्पना आश्रये चारित्रदशा प्रगटती नथी.
चारित्रनुं निमित्त क्यारे कहेवाय? जो स्वभावमां लीनतानो पुरुषार्थ करीने चारित्रदशा प्रगट करे तो विकल्पने तेनुं
निमित्त कहेवाय. पण पंचमहाव्रतना विकल्परूप निमित्त करुं तो चारित्र प्रगटे–एवी मान्यता ते मिथ्यात्व छे. तेवी
ज रीते व्यवहार दर्शन व्यवहार ज्ञान ने व्यवहार चारित्रना परिणाम करुं तो तेनाथी निश्चय दर्शन–ज्ञान–चारित्र
प्रगटे ए मान्यता पण मिथ्यात्व छे.
त्याग साचो नथी. दरेक वस्तुमां समय–समयनी पर्यायनी स्वतंत्रता छे. दरेक पदार्थमां तेना कारणे समय–समयनी
तेनी पर्यायनी लायकातथी कार्य थाय छे. पर्यायनी लायकात ते उपादान कारण छे. अने ते वखते ते कार्य माटे
अनुकूळतानो आरोप जेना उपर आवी शके एवी लायकातवाळी बीजी चीज योग्य क्षेत्रे होय छे तेने निमित्त कारण
कहेवाय छे, पण तेना कारणे वस्तुमां कांई थतुं नथी. आवुं भिन्नतानुं यथार्थ भान ते भेदज्ञान छे.
विकल्प ऊठयो–एम नथी अने वांचवानो विकल्प ऊठयो माटे ज्ञान थयुं–एम पण नथी. पण दरेक द्रव्ये ते वखते
स्वतंत्रपणे पोतपोतानुं कार्य कर्युं छे. वीतरागीभेदविज्ञान एम जणावे छे के–दरेक समये दरेक पर्याय पोताना स्वतंत्र
उपादानथी ज कार्य करे छे. उपादाननुं कार्य निमित्त आवे तो थाय–एवुं पराधीन वस्तुस्वरूप नथी. पण उपादाननुं
कार्य स्वतंत्र थाय छे त्यारे निमित्त तेनी पोताथी लायकातथी होय छे.
वात खोटी छे. तेमज छायामांथी तडकारूपे अवस्था थवानी हती माटे सूर्य वगरेने आववुं पडयुं–ए वात पण खोटी
छे. सूर्य ऊग्यो ते तेनी ते वखतनी लायकात छे, ने जे परमाणुओ छायामांथी तडकारूपे थया तेनी ते समयनी तेवी
लायकात छे.