Atmadharma magazine - Ank 050
(Year 5 - Vir Nirvana Samvat 2474, A.D. 1948)
(Devanagari transliteration).

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: मागसर : २४७४ : आत्मधर्म : २३ :
परम पूज्य शांतिदायक सद्गुरुदेव श्रीनुं व्याख्यान
सुप्रभात मांगलिक
करतक सद १
(१) आत्मानी जीवन शक्ति
आत्माना स्वभावमांथी पूर्णदशा प्रगटे ते ज मंगळ–प्रभात छे, ते ज बेसतुं वर्ष छे. जेना आत्मामां
सुप्रभात प्रगटयुं तेने जन्म–अने–मरण टळीने सिद्धदशा प्रगटे छे. आत्मा शरीरथी के पैसा वगेरेथी जीवतो
नथी. तेनाथी तो आत्मा जुदो छे. आत्मानुं जीवन केवुं होय? ते आचार्यदेव बतावे छे.
आत्मामां जीवन शक्ति छे. अनादि अनंत आत्मा ज्ञानदर्शन शक्तिने धारी राखे छे, एवी आत्मामां
जीवनशक्ति छे, ने ए ज शक्तिथी आत्मा सदाय जीवे छे. जेम आत्मामां ‘ज्ञान’ शक्ति छे, तेम एक ‘जीवन’
नामनी शक्ति पण छे. आत्मामां ज्ञान छे, दर्शन छे, सुख छे, आनंद छे, पुरुषार्थ छे, शांति छे, ने जीव छे–ए
बधा गुणो ते ज आत्मानुं कुटुंब छे, ने ते सदाय आत्मा भेगुं ज रहे छे. पोताना अनंतगुण ते ज पोतानुं कुटुंब
छे, तेनी जेने खबर नथी ते जीव बहारमां कुटुंब, शरीर ने पैसा वगेरेने सदाय टकावी राखवानी भावना करे
छे, पण ते अज्ञान छे, ने दुःखनुं कारण छे. मारी जीवनशक्तिथी हुं सदाय जीवतो ज छुं. ज्ञान–आनंद वगेरे
अनंत गुणोरूपी मारुं कुटुंब छे. मारा बधा गुणो साथे मारुं पूरेपूरुं निर्मळ–पवित्र जीवतर टकी रहो–एवी
भावना आत्मार्थि जीवो करे छे. ए ज महान मंगळिक छे.–एम श्री ज्ञानी पुरुषो फरमावे छे.
श्री समयसारजी शास्त्रमां (५०३ मा पाने) आत्मानी ४७ शक्तिओनुं वर्णन कर्युं छे. तेमां सौथी पहेलां
ज आत्मानी जीवत्व शक्तिनुं वर्णन आचार्य–भगवाने कर्युं छे. जीवत्व शक्ति एटले जीववानी शक्ति,
जीवनशक्ति आत्मामां जीवनशक्ति छे तेथी ते सदाय जीवतो ज छे; आ शरीरथी के इंद्रियोथी आत्मा जीवतो
नथी पण ज्ञान अने दर्शनरूप चैतन्यप्राणथी ज आत्मा जीवे छे. ‘आत्मद्रव्यने कारणभूत एवा चैतन्यमात्र
भावनुं धारण जेनुं लक्षण अर्थात् स्वरूप छे एवी जीवत्वशक्ति’ –आत्मामां ऊछळे छे. आत्मामां चैतन्यप्राण
छे, ने तेथी आत्मा सदाय जीवे छे. जो चैतन्यशक्तिनो नाश थाय तो आत्मा मरे, पण चैतन्यशक्ति तो सदाय–
त्रिकाळ–छे, तेथी आत्मा सदाय जीवे छे. एवी चैतन्यस्वरूप जीवत्वशक्ति आत्मामां सदाय छे.
आत्मानो चैतन्यमात्र भाव छे. अने आ शरीर तो जड–अचेतन छे. चैतन्यस्वरूपी आत्मा शरीरना
आधारे जीवतो नथी अने शरीरना प्राणोने आत्मा धारतो नथी. तेम ज पुण्यना आधारे आत्मा जीवतो नथी,
ने पुण्यने आत्मा धारतो नथी; शुद्धज्ञान–दर्शनरूप चैतन्यप्राणने आत्मा धारण करे छे. ने एनाथी ज आत्मा
जीवे छे. आत्मामां ‘जीवत्व’ नामनी खास शक्ति छे, त्रणेकाळे अने त्रणे लोकमां आत्मा चैतन्यप्राणोने धारण
करीने ज जीवी रह्यो छे; शरीरने आत्माए कदी धारण कर्युं ज नथी, अने आत्माना स्वभावे कदी विकारने पण
धारण कर्यो नथी. शरीर अने विकारथी जुदी एवी चैतन्य–शक्तिने धारण करीने जीवनुं टकी रहेवुं ते ज
सुप्रभात छे. चैतन्यशक्तिरूप पोतानुं जीवन छे तेने ओळखवुं अने तेमां ज टकी रहेवुं, पण विकारमां न टकवुं
ते ज सुप्रभात छे. एवा सुप्रभातनी अहीं भावना छे.
(२) जीवनुं कुटुंब
जीवनुं कुटुंब जीवथी जुदुं न होय, अने जीवथी कदी जुदुं पडे नहि. ज्ञान, आनंद वगेरे अनंत गुणो ते ज
जीवनुं कुटुंब छे. आत्मामां ज्ञान, सुख वगेरे अनंत शक्तिओ छे ते बधी भेगी ज रहे छे, एक शक्ति बीजी
शक्ति वगर न होय. ए रीते आत्मानुं गुणोरूपी कुटुंब संकळायेलुं छे. एवुं अनंत गुणोस्वरूपी मारुं कुटुंब सदा
पवित्रपणे श्रद्धा–ज्ञान–चारित्रमां टकी रहो एम धर्मी जीवनी भावना छे. अनंत गुणोथी सदाय भरेला–परिपूर्ण
पोताना आत्मस्वभावनुं ज्ञान अने तेमां स्थिरता ते ज मुक्तिनी क्रिया छे, ए क्रियाथी ज आत्माना अनंत
चतुष्टय प्रगटे छे, अने ए ज आत्मानुं सुप्रभात छे.