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सम्यग्दर्शननुं निमित्त होय छे. ‘आ जिनवचन छे अने आ जिनवचन नथी’ एम पहेलांं पोते नक्की करे अने
पछी जिनवचनो शुं कहे छे–एनो आशय जीव समजे तो तेने सम्यग्दर्शन प्रगटे अने मिथ्यात्वादि रोग टळे. ए
रीते जिनवचन ते औषधरूप छे. परंतु जे जीव जिनवचनना रहस्यने समजे नहि ते जीवने सम्यग्दर्शन थाय
वैराग्य थाय छे, तेमां सुखबुद्धि कदापि थती नथी. आथी श्रीजिनवचनो वडे कल्याण–अकल्याणनुं स्वरूप जाणतां
विषयो प्रत्ये वैराग्य थाय छे. श्रीमद्राजचंद्रजीए कह्युं छे के–
औषध जे भवरोगनां (पण) कायरने प्रतिकूळ.
स्वभाव जिनवचनो दर्शावे छे. जेने भवनी शंका छे ते जिनवचनोने ज समज्यो नथी. पोताना शांतस्वभावने
आत्मस्वभावने बतावीने स्व–परनुं भेदज्ञान करावे छे अने ए रीते विषयोमां सुखबुद्धिनुं विरेचन करावे छे.
विषयोमां सुखबुद्धि टळतां कर्मबंध थतो नथी, अने तेथी जन्म–जरा–मरणरूपी रोग दूर थाय छे.
विषयोमां सुखबुद्धिनुं विरेचन थाय छे. विषयो प्रत्ये वैराग्य थाय छे अने कर्मबंध अटकी जाय छे, तेथी जन्म–
मरणरूपी रोग दूर थईने मोक्ष थाय छे. आथी सिद्ध थयुं के मोक्षनुं मूळ सम्यग्दर्शन ज छे, अने ते सम्यग्दर्शननुं
कारण श्री जिनवचनो छे, माटे श्री जिनवचनोने अमृतसमान जाणीने तेने अंगीकार करवां अने तेनुं रहस्य
समजवुं.
आत्मानुं ज श्रद्धान ते सम्यक्त्व छे–एम जिनदेवे कह्युं छे. तत्त्वार्थनुं श्रद्धान ते तो व्यवहारथी सम्यग्दर्शन छे.
पोताना आत्मस्वभावनो अनुभव, तेनी श्रद्धा–प्रतीति–रुचि ते निश्चयथी सम्यग्दर्शन छे; आ सम्यग्दर्शन
आत्माथी जुदी कोई वस्तु नथी पण आत्माना ज शुद्ध परिणाम छे तेथी ते आत्मा ज छे; आ रीते सम्यक्त्व
अने आत्मा एक ज वस्तु छे–एवो निश्चयनो आशय जाणवो.
शके ज नहि. ज्ञातास्वभावनी प्रतीति ते निश्चय सम्यग्दर्शन छे अने नव तत्त्वनी प्रतीति ते व्यवहारसम्यग्दर्शन
छे. नव तत्त्वनी तो प्रतीति करे पण जो ज्ञातास्वभावनी प्रतीति न करे तो निश्चयसम्यग्दर्शन प्रगटे नहि.
ज्ञाननो स्वभाव रागरहित रहीने जाणवानो छे, तेथी ज्यां सुधी रागरहित नव तत्त्वोने जाणे त्यां–सुधी विकल्प
छे, त्यां निश्चयसम्यग्दर्शन नथी. ज्ञानमां ज्यां सुधी एकत्वबुद्धिपूर्वकनो राग–विकल्प छे त्यां सुधी सम्यग्दर्शन
थतुं नथी, पण रागथी खसीने स्वभाव तरफ ढळीने प्रतीति करतां राग साथेनी एकत्वबुद्धि तूटी जाय छे अने
सम्यग्द्रष्टि जीवने एकत्वबुद्धि नथी होती; तेथी त्यां विकल्प होवा छतां निश्चयसम्यग्दर्शन होय छे. आवुं
निश्चयसम्यग्दर्शन चोथा गुणस्थानथी ज होय छे.