ज आत्मा सुखी थाय छे.
अहीं तेवा जीवोने विषयोनी सुखबुद्धिथी छोडावीने स्वभाव तरफ वाळे छे; अरे अज्ञानी! जेम सिद्धभगवान
कोई पण पर विषय वगर स्वभावथी ज सुखी छे तेम तारा आत्मानुं सुख पण बहारना पदार्थोनी अपेक्षा
वगरनुं छे. बहारमां सुख लागे छे ते तो तें तारा रागने लीधे मात्र कल्पना करी छे. राग वगरनुं एकलुं ज्ञान
ज सुखरूप छे. रागमां सुख नथी ने रागना विषयभूत पदार्थोमां य सुख नथी. अज्ञानथी तें जे परमां सुख
मान्युं छे तेमां पण तने बहारना पदार्थो साधनरूप नथी, तो तारा धर्ममां अर्थात् स्वाभाविक सुखमां तो कोई
परवस्तु साधनरूप शेनी होय? परवस्तु तो तेमां साधनरूप नथी, ने परवस्तु प्रत्येनो शुभ के अशुभ राग थाय
ते पण तारा धर्ममां साधनरूप जराय नथी. सर्वे पर विषयो अने शुभ–अशुभभावोथी भिन्न तारो
ज्ञानस्वभाव समजीने सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्ररूप परिणमन कर, ते ज तार धर्मनुं ने पारमार्थिक सुखनुं
जीव! तुं तारा ज्ञानस्वभावमां ज सुख मान ने विषयोमां सुखबुद्धि छोड. भाई! विषयो तारा सुखनुं साधन
नथी.
स्वयमेव लोके सिद्ध पण त्यम ज्ञान, सुख ने देव छे. ६८.
स्वभावथी ज छे. जीवनां ज्ञान अने सुख कोई बीजी वस्तुओथी (अर्थात् विषयोथी) नथी. माटे आत्माने
एवा विषयोथी बस थाव! विषयोथी आत्माने सुख छे एवी मिथ्या मान्यता नाश पामो, अने ज्ञान अने
कोलसा वगेरे कोई अन्य साधनोनी जरूर नथी तथा सूर्य पोते प्रकाशरूप छे, पोताना प्रकाश माटे तेने कोई
ईलेकट्रीसीटीनी के तेल वगेरेनी जरूर नथी, अने सूर्य पोते ज्योतिष देव छे. तेम सिद्धभगवाननो आत्मा पोते
ज ज्ञानस्वरूप छे, पोते ज निराकुळ सुखस्वरूप छे अने अनंत दिव्य शक्तिवाळो होवाथी पोते ज देव छे.
अपेक्षा राख्या वगर पोते ज ज्ञान छे. आत्मानुं ज्ञान स्व–परने प्रकाशवा माटे कोई पण भिन्न साधननी अपेक्षा
तेम बधाय आत्माओनुं ज्ञान कोई जुदा कारणनी अपेक्षा राख्या वगर पोताथी ज थाय छे. मतिश्रुतज्ञानने पण
जुदा कोई कारणनी–ईन्द्रियो, शरीर, प्रकाश के राग वगेरेनी जरूर नथी; अधूरा ज्ञान वखते ते इंद्रियादि भले हाजर
हो, परंतु तेनाथी ज्ञान जाणतुं नथी. आ रीते भगवान आत्मा स्वयमेव ज्ञान छे. स्व–परने प्रकाशवामां समर्थ एवी
साची अनंत शक्तिवाळा सहज स्वसंवेदन साथे एकमेक होवाथी आत्मा पोते ज ज्ञान छे. आत्मानी ज्ञानशक्ति
सहज छे. जे ज्ञानपणे आत्मा परिणम्यो ते ज्ञानशक्ति सहज पोताजी ज छे, तेने कोई कारणनी जरूर नथी. आत्माने
ज्ञाननी साथे एकतां छे, पण जे लोकालोक ज्ञानमां जणाय छे तेनी साथे आत्माने एकता नथी. परपदार्थो तेमज
रागादि विकारीभावो साथे आत्माने एकता नथी पण जुदाई छे. तेथी आत्मानुं