उत्तर:–आमां ज यथार्थ ग्रहण–त्यागनी वात आवी जाय छे. ग्रहण के त्याग कोई बहारनी वस्तुनो थई
आत्माथी छूटी छे ज. हुं बीजी वस्तुओनुं ग्रहण करी शकुं के तेमने छोडी शकुं एवी मान्यता तो अधर्म छे. भले
लीलोतरी न खातो होय तोय तेवी मान्यतावाळो जीव अधर्मी ज छे. वळी कोई भगवानना नामनो जाप
करवानी वात न आवी, केम के जापना शब्दो तो जड छे, अने ते तरफनो शुभराग ते विकार छे–मंदकषाय छे, ते
धर्म नथी. माटे हुं पर वस्तुओने ग्रही के छोडी शकुं एवी ऊंधी मान्यतानो त्याग करवानुं आव्युं, रागथी मने
धर्म थाय एवी ऊंधी मान्यतानो त्याग करवानुं आव्युं. अने जडथी तथा विकारथी जुदो अंतरमां पोतानो
स्वभाव पूरो ज्ञायकमूर्ति छे तेनी साची श्रद्धा–ज्ञान अने स्थिरताने ग्रहण करवानुं आव्युं. श्रद्धामां पूर्ण
स्वभावनुं ग्रहण ने अधूराशनो त्याग ते धर्म छे.
तेमां आत्माने शुं? अशुभ टाळीने शुभ तो अभव्य जीव पण करे छे, अशुभ टाळीने शुभभाव करे तेथी कांई
आदर–श्रद्धा ने लीनता करवी ते ज साचो जाप छे, तेमां आखो आत्मा–भगवान आवी जाय छे, ने ते ज धर्म
छे. जेमां आखो परिपूर्ण आत्मा न आवे ते धर्म नथी. आत्मानो पूरो स्वभाव छे, तेने पूरेपूरो माने तो तेना
आश्रये पर्यायमां धर्म प्रगटे. अने पूरो न मानतां अधूरो के विकारी माने तो पर्यायमां अधर्म थाय. परिपूर्ण
स्वभावनी प्रतीति करतां जे सम्यक् श्रद्धा–ज्ञान प्रगट्यां ते समभाव छे, तेनाथी अवश्य मुक्ति प्रगटे छे.
सहेली ने समजाय तेवी वात छे. केवळज्ञान पामवुं तेमां पुरुषार्थ छे तेथी ते मोटी वात छे. पण आ तो
सम्यग्दर्शन अने सम्यग्ज्ञान पामवानी नानी वात छे. पोते चैतन्यतत्त्व शुं छे अने तेनुं चिह्न शुं छे ते जाण्या
वगर धर्म थाय नहि. जेम आंकडा अने अक्षर जाण्या वगर नामुं लखी शकाय नहि तेम चैतन्यनो अंक (चिह्न)
शुं अने तेनो अक्षर (नाश न थाय तेवो) स्वभाव शुं ते जाण्या वगर धर्मना नामा थाय नहि अने चैतन्यमां
स्थिरता थाय नहि, भले उपवास–आंबेल–भक्ति–व्रत–दान वगेरे करे पण तेमां क्यांय आत्मलाभ नथी.
स्वभावने अनुभवे ते ज जीव बधाना परिपूर्ण स्वभावने जाणी शके ने तेने ज समभावरूप धर्म होय.
सम्यग्दर्शनना धारक हता, छ खंडनुं राज्य अने हजारो राणीओनो संयोग हतो तथा राग पण हतो, परंतु तेमां
हेयबुद्धि हती, क्यांय अंशमात्र एकताबुद्धि न हती, स्वभावनी द्रष्टिथी समभाव ज हतो. पर्यायना रागनुं ज्ञान
हतुं. स्त्रीओ–राजपाट वगेरेने पण जाणता हता, पण स्वभावनी एकता छूटती न हती. स्वभावनी एकताना
जोरे क्षणे क्षणे राग तूटतो ज जतो हतो.