ज बदलाव्या करे छे. कोई पदार्थनी हालत बीजो पदार्थ
करतो नथी. अजीवनी हालत जीव न बदलावे अने
स्वतंत्रता ओळखाय छे. पोतानी मेली दशा टाळीने
पवित्र दशा प्रगट करवा माटे बीजा कोईनी मदद नथी,
आम समज–वाथी बीजा उपरनो मोह टळे छे ने
पोतानुं साचुं ज्ञान प्रगट थाय छे. माटे तमे आ
द्रव्यत्वगुणने बराबर ओळखजो.
जीवमां अस्तित्वगुण छे, अजीवमां पण छे.
जीवमां वस्तुत्वगुण छे, अजीवमां पण छे.
जीवमां द्रव्यत्वगुण छे, अजीवमां पण छे.
ज्ञानमां आखुं विश्व झळके छे, ते जगतथी जुदो छे,
शरीरथी जुदो छे, पोते ज भगवान छे ने पोते ज
परमेश्वर छे, ते आनंदथी भरेलो छे, तेने जन्म के
मरण नथी, ते राजा के रंक नथी, ते तो ज्ञान अने
आनंदनो दरियो छे. आवो आतमदेव आंखथी देखातो
जणाय छे. बाळको, तमे साचा ज्ञान वडे आत्मदेवना
दर्शन करजो.
अस्तित्वगुण कहेवाय छे. आ गुण जीव अने अजीव
बधा द्रव्योमां छे. आने सामान्य गुण कहेवाय छे.
आ वखते कुल ७२ बाळकोना जवाब आव्या
(८–१०) जामनगर–हरसुख, ललिता बेन, कंचनबेन.
रसिक. (१४–१५) वींछीया: भूपेन्द्र, उत्तमलाल.
(१६–१७) अमरेली: विनोदराय, कैलास. (१८)
माणेकलाल–मोरबी. (१९) शांतिलाल–वांकानेर.
(२२) चंपकलाल–धूलिया. (२३) हसमुख बोटाद,
(२४) कान्तिलाल–राणपुर. (२५–२६) मुंबई:
कुसुमबेन, जगदीशचंद्र. (२७) कान्तिलाल–लाठी.
(२८) कंचनबेन वढवाण केम्प. (२९) राजेन्द्र–
आमोद. (३०) चंद्रप्रभा सोनगढ (३१) वीरबाळा–
बोरसद, (३२) नवनीतलाल मोगरी. (३३–३४–
३५–३६) वींछीया: रसिकलाल, जसवतीबेन,
मंजुलाबेन, स्नेहलत्ताबेन (३७) हरिहर–अमदावाद
हसमुखलाल. (४१) सुशीलाबेन: सोनगढ (४२)
छबीलदास–कलकत्ता (४३) अनीलकुमार: लीमडी
(४४–४६) वींछीया: मंछाबेन, मंजुलाबेन,
रसिकलाल. (४७–४८) मोरबी: चंद्रकान्ता, इंदुलाल.
कहेवाय?
(२) नीचेना वाक्योमांथी जे खोटा होय ते सुधारो–
२. जे जीव साचुं ज्ञान करे ते सुखी थाय.
३. एक ज्ञानी पासे पैसा न हता तेथी ते दुःखी हता.
४. जो निरोग शरीर होय तो धर्म झट थई शके.
५. शरीरनी क्रियाथी धर्म थाय छे.
सम्यग्दर्शन रत्न खोवाई गयुं. तो तेनी पासे क्या क्या
रत्नो बाकी रहेशे? ते जणावो.
नीचेना सरनामे मोकलवा–