Atmadharma magazine - Ank 056
(Year 5 - Vir Nirvana Samvat 2474, A.D. 1948)
(Devanagari transliteration).

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: १४२ : आत्मधर्म जेठ : २४७४
जयत उत्सव वखत
(वैशाख सुद बीजनी रात्रे गवायेल)
भारे बन्यो मस्तानो...उजम बा, तमारो कानो कानो;
ज्ञान महीं मस्तानो उजम बा, तमारो कानो कानो.
वात करे छे ज्ञान तणी ए, दिलडां हरे छे लोकोनाए;
कुंद सुत केसरी जाग्यो उजम बा, तमारो कानो कानो.
सीमंधर प्रभुना संदेशा लाव्यो, दिव्यध्वनिनो नाद गजाव्यो;
भव्योनो तारणहारो उजम बा, तमारो कानो कानो.
एकाकी सत् शोधी काढ्युं, असत् मिटावी सत्य प्रकाश्युं;
धुरंधर मस्तानो उजम बा, तमारो कानो कानो.
जगमां कोई अन्य न मानुं, धून मचावी अलख जगावुं;
सीमंधर लाडकवायो उजम बा, तमारो कानो कानो.
जैन धरमनी ज्योत जगावी, अज्ञान अंधारा दूर हटावी;
जगमां मानो न मानो उजम बा, तमारो कानो कानो.
टचली आंगळीए मेरू तोळ्‌यो,
+संतोनो कांई गर्व उतार्यो;
तोये कहे हुं नानो उजम बा, तमारो कानो कानो.
+ दंभी त्यागीओनो
(वैशाख सुद एकमनी वहेली सवारमां गवायेलुं)
भरते आजे मंगळ दिन चालो वंदन जईए
स्वर्णे सीमंधर भगवान चालो वंदन जईए
बिराजे महाविदेही नाथ चालो वंदन जईए
भरत भूमिना आंगण आज चालो वंदन जईए
जनम्या जीनेश्वर लघुनंद चालो वंदन जईए
धन्य धन्य उजमबा कुख नंद
पिताश्री मोतीचंदभाई कुळ चंद
उमराळा जनम्या कहान गुरुराज चालो वंदन जईए
ए छे शासनना शिरताज चालो वंदन जईए...भरते
सुरेन्द्रो आसन डोल्या आज
शुं छे? शुं छे? भरत मोझार
भरते जनम्या कहान गुरुराज चालो वंदन जईए
भरतना जनम्या तारणहार चालो वंदन जईए... भरते
स्वर्गमां जन्मोत्सव
(वैशाख सुद बीजनी बपोरे
बालिकाओए करेलो संवाद)
[ईन्द्रनुं सिंहासन डोले छे]
ईन्द्र––(आश्चर्य पामीने कहे
छे) अरे, आशुं? मारुं सिंहासन केम
डोल्युं? (अवधिज्ञाननो उपयोग मूकी
जुए छे) वाह, वाह, (कही हर्षीत
हृदये ताळी पाडे छे. चारे दिशाएथी
चार देवी नवाई पामती आवे छे.)
पहेली देवी––देव, शुं आश्चर्य
थयुं?
ईन्द्र––भरत क्षेत्रमां श्री कहान
गुरुनो जन्म थयो छे.
बीजी देवी––शुं ते एटला
बधा पुन्यशाळी छे?
ईन्द्र––हा, जेटला पुन्यशाळी
छे तेटला पवित्र पण छे.
त्रीजी देवी–देव श्री कहान
भरत क्षेत्रमां शुं महान कार्यो करशे?
ईन्द्र––जगतना गुरु, ज्ञानना
धोरीया वहेवडावनार थशे अने
पंचमकाळना अनेक जीवोने सनाथ
बनावशे.
चोथी देवी––तेना वखतमां शुं
शुं बनावो बनशे?
ईन्द्र––लाखो जीवो धर्मश्रवण
माटे आतुर रहेशे. हजारो जीवोनो
उद्धार थशे. अनेक जिनमंदिरो बनशे.
देव–गुरु–शास्त्र माटे प्राण पथराशे.
श्री कहान मिथ्यामतना नाशक अने
खंडनमंडन करी सत्य मार्गना
स्थापनार थशे.
देवी––जुओ जुओ प्रतीन्द्र
पधारे छे.
(प्रतीन्द्र आवे छे, देवीओ आवकार
आपे छे).