Atmadharma magazine - Ank 056
(Year 5 - Vir Nirvana Samvat 2474, A.D. 1948)
(Devanagari transliteration).

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जेठ : २४७४ आत्मधर्म : १४३ :
कहान प्रभु जन्मोत्सवना गान
गातां सुरेन्द्रो उतरे आज
उमराळे जय जयकार गवाय चालो वंदन जईए
लळी लळी ईन्द्रो प्रणमे पाय चालो वंदन जईए....भरते
कुमकुम थाळ भरीने आज
वधावुं हीरले कहान (हुं) गुरुराज
कहान प्रभु चरणे वारी वारी जाउं चालो वंदन जईए
आजे घर घर मंगळ माळ चालो वंदन जईए
जय जयकार जगतमां आज चालो वंदन जईए
स्वर्णे जन्मोत्सव उजवाय चालो वंदन जईए....भरते
(देवी समूह नृत्य करतां करतां भक्ति करे छे.)
जनम्या कान प्रभुजी........जनम्या कान प्रभुजी
आत्म निरंजन, परदुःख भंजन
सत्यपंथ देखाडना ... २.
मिथ्या–खंडन, सत्य सरजन
भक्तको है प्यारा.......जनम्या.
जेनी नयनोमां करुणा भरी, करुणा भरी
समकीत दाता, भाग्य विधाता
जिन आज्ञाधारी (२)........जनम्या.
भक्ति करुं तोरी उमंग भरी भरी, उमंग भरी भरी
जय जय गान करुं तुज जगमें
जैन शासनके रक्षपाल.........जनम्या.
जुग जुग ज्योति जीवनकी, अंध दुनियाने प्रकाशे
अखंड रहो, अमर रहो
ओ संत सूवर्णपुर वासी.........जनम्या.
जनम्या कान प्रभुजी, जनम्या कान प्रभुजी
देवी:–देव! चालो हवे आपणे सौ रास रमीए...
(ईन्द्र, प्रतीन्द्र देवीओ रास रमे छे)
(रास लेतां लेतां भक्ति करे छे)
हांहारे गुरु वर वाणी सरितामां नाहीए
हांरे एना निर्मळ नीरमां तरबोळ रहीए
जंगलमां मंगल कर्युं कहाने बहु सुंदर
हांरे समीप रहीने आत्म बंसरी सूणीए... हांहारे
कहाननुं ज्ञान, दीसे छे महान
हांरे एनी भाव भीनी भक्ति अमे चित्त धरीए........
तारो विशाळ भक्तवृंद तेनो एक तुं भगवंत
हांरे ए काननो उपकार अमे केम भूलीए
ईन्द्र––बोलो प्रतीन्द्र, सीमंधर
परमात्मा पासेथी शा समाचार
लाव्या छो? भरतमां आजे
कहानदेवनो जन्म थयो छे, तेने विषे
कांई समाचार आपशो?
प्रतीन्द्र––श्री सीमंधर
परमात्मा पासेथी सांभळेल संदेशो
तमारे जाणवो छे?
ईन्द्र–घणी खुशीथी.
प्रतीन्द्र–कुंदकुंद प्रभु सीमंधर
प्रभुना समवसरणमां पधार्या अने
दिव्यध्वनि सांभळी रचेल समयसार
समजी पंचमकाळना अनेक जीवोने
अद्भुत आत्मखजानो देखाडनार,
जगतमां सत्धर्मनो जयजयकार
फेलावनार छे.
देवी–जुओ, जुओ, महादेवी
पधारे छे. (महादेवी प्रवेश करे छे)
बीजीदेवी–(महादेवी तरफ
जोईने) देवी, शीद फरी आव्या?
महादेवी–देवी, हुं भरत
क्षेत्रमां हमणां ज जई आवी, त्यां तो
पुन्यथी धर्म माने छे, उपादान–
निमित्तने सरखा गणे छे, जडनी
क्रियाने आत्मानी माने छे, परंतु
आजे त्यां कहान गुरुनो जन्म थयो छे
ते मोटा मोटा पंडितो अने
त्यागीओनो गर्व उतारशे अने
गलीए, गलीए नर, नारी, बाळको
सर्व अध्यात्मचर्चा करी रहेशे.
भरतक्षेत्रमां मानवो अध्यात्मयोगी
श्री कहान प्रभुनी प्राप्तिथी महान
भाग्यशाळी छे.
त्रीजीदेवी–देवी, राग होवा
छतां ज्ञानी केम मुक्त कहेवाता हशे?
महादेवी–अहो ए ज
सम्यक्ज्ञाननो महिमा छे.
ईन्द्र––ज्ञानीने पोताना
पुरुषार्थनी नबळाईथी पर्यायमां राग
होय छे खरो, परंतु तेनुं वलण
त्रिकाळी स्वभाव तरफ होवाथी तेने
खरेखर