: १५६ : आत्मधर्म : अषाढ : २४७४ :
जेओ एवा उत्तम सत्य व्रतनुं पालन करे छे तेओ जगत्पूज्य सरस्वतीने प्राप्त करे छे एटले के तेओ केवळज्ञान
पामे छे ने दिव्यध्वनि छूटे छे. सरस्वती एटले केवळज्ञान, अने निमित्तरूपे कहीए तो दिव्यध्वनि ते सरस्वती
छे. भगवानना दिव्यध्वनिने सरस्वती, अंबा वगेरे पण कहेवाय छे.
लौकिक सत्य बोलवाना भाव तो जीवे अनंतवार कर्या छे, पण परमार्थ सत्यनुं स्वरूप समज्यो नथी.
साचा ज्ञानथी वस्तुना स्वरूपनो निश्चय कर्या वगर परमार्थसत्य होय नहि. अज्ञानी जे कांई बोले छे ते लौकिक
सत्य होय तो पण परमार्थे ते असत्य ज छे. सम्यग्दर्शनपूर्वक ज परमार्थ सत्य होई शके छे. आत्माना त्रिकाळी
शुद्धस्वभावने ओळखीने तेमां विशेष स्थिरताना पुरुषार्थवडे असत्यने (–शुभ–अशुभरागने) टाळे छे ते ज
उत्तम सत्य धर्म छे. सम्यग्द्रष्टि गृहस्थोने पण श्रद्धा–ज्ञान अपेक्षाए उत्तम सत्यादि धर्मो होय छे.
आचार्यदेव उत्तम सत्य धर्मनुं विशेष माहात्म्य करे छे–
– शार्दूल विक्रिडित –
आस्तामेतदमुत्र सूनृतवचाः कालेन यल्लप्स्यते सद्भूपत्वसुरत्व संसृतिसरित्पाराप्तिमुख्यं फलम्।
यत्प्राप्नोति यशः शशांकविशदं शिष्टेषु यन्मान्यतां यत्साधुत्वमिहैव जन्मनि परं तत्केन संवर्ण्यते।। ९३।।
उपर कह्युं तेवा उत्तम सत्य धर्मना स्वरूपने जाणीने जे सत्यवादी मनुष्य छे ते परभवमां श्रेष्ठ चक्रवर्ती
तथा ईन्द्रादि पदने पामे छे, अने संसार सरिताना पारने पामे छे ए तेनुं मुख्यफळ छे. परभवनी वात तो दूर
रहो, परंतु आ भवमां ज ते चंद्रमा समान उत्तम कीर्तिने पामे छे, ते सज्जन कहेवाय छे ने सज्जनो तेने
आदरथी जुए छे. एवा उत्तम सत्य धर्मना फळने केम वर्णवी शकाय? माटे मुमुक्षुओए सम्यक्श्रद्धा–ज्ञानपूर्वक
उत्तम सत्य धर्मनुं पालन करवुं जोईए. (सामेना पाने चालु)
अषाड अने श्रावण मासना मांगळिक दिवसो
अषाड सुद ६ सोमवार : श्री महावीर–गर्भकल्याणक.
अषाड सुद ७ मंगळवार : श्री नेमनाथ–मोक्ष कल्याणक. अने श्री अष्टाह्निका उत्सवनी शरूआत.
अषाड सुद १प मंगळवार : श्री अष्टाह्निका उत्सव पूर्ण
अषाड वद १ (बीजी) गुरुवार : श्री वीरशासन ज्यंति महोत्सव: श्री महावीर प्रभुनो दिव्य ध्वनि छूटवानो
प्रथम दिवस.
श्रावण सुद ६ मंगळवार : श्री नेमिनाथ प्रभुना जन्म अने तप कल्याणक
श्रावण सुद १प गुरुवार : रक्षाबंधनदिन: आ दिवसे श्री विष्णुकुमार मुनिए अकंपनाचार्यादि ७०१
मुनिओना संघनी, दूष्ट बलिराजाए करेला उपसर्गथी रक्षा करी हती.
श्रावण वद ७ गुरुवार : श्री शांतिनाथ–गर्भकल्याणक
प्रौढ वयना गृहस्थो माटे श्री जैन दर्शन – शिक्षणवर्ग
गया वर्षनी माफक आ वर्षे पण श्रावण सुद २ (ता. ६–८–४८) शुक्रवारथी श्रावण वद अमास (ता.
३–९–४८) शुक्रवार सुधी, सोनगढमां श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट तरफथी साचा तत्त्वज्ञानना अभ्यास माटे
एक जैन शिक्षणवर्ग खोलवानुं नक्की कर्युं छे. आ वर्ग खास प्रौढ उमरना जैन भाईओने अनुलक्षीने
खोलवामां आव्यो छे. प्रौढ वयना जैन मुमुक्षुओने खास आमंत्रण छे. जे जैन मुमुक्षु भाईओने वर्गमां
आववानी ईच्छा होय तेओए पोतानुं नाम तुरत “श्री जैन स्वाध्यायमंदिर, सोनगढ” ए सरनामे मोकली देवुं.
– भलामण –
आत्मधर्म मासिक गुजराती भाषामां पांच वर्षथी प्रगट थाय छे. ए वर्षो दरमियान आत्मधर्ममां अनेक
धार्मिक न्यायोनी विस्तृत छणावट थयेली छे, यथार्थ धर्मनी रुचि धरावता जिज्ञासुओने सहेलाईथी समजाय एवी
सादी अने सरळ भाषामां भगवाननी दिव्य ध्वनिना भावोने आत्मधर्म मासिकमां रजु करवामां आव्या छे. एथी
जेमनी पासे आत्मधर्म मासिक न होय तेओ जरूर मंगावी ले. पहेला बीजा वर्षनी थोडी ज फाईलो बाकी छे.
आत्मधर्मनी पहेला, बीजा, त्रीजा तथा चोथा वर्षनी बांधेली फाईल:
दरेकनी किंमत ३–४–० टपालखर्च माफ आत्मधर्म कार्यालय–मोटा आंकडिया–काठियावाड