विधिवडे, पुरुषार्थपूर्वक पोताना सम्यक्आत्मतत्त्वनी श्रद्धा अने एकाग्रता करवाथी मोहनो क्षय थईने
सम्यग्दर्शन अने केवळज्ञाननी प्राप्ति थशे. माटे पुरुषार्थवडे स्वाश्रय करो. ‘कर्म मार्ग आपे तो धर्म थाय,
निमित्तना अवलंबने धर्म थाय, व्यवहारना आश्रये धर्म थाय’ एवा प्रकारनी पराधीनतानी मान्यताने छोडो.
केम के पराश्रयने मोक्षमार्ग भगवाने कह्यो नथी. मोक्षनो मार्ग पराधीन नथी पण आत्माधीन छे–स्वाधीन छे.
प्रगट करे छे. अने केवळज्ञान प्रगट थया पछी दिव्यध्वनि वडे जगतना जीवोने ए ज प्रकारनो उपदेश करीने
निर्वृत थाय छे –सिद्ध थाय छे. आ एक ज मोक्षनो विधि छे, बीजो कोई विधि नथी.
नमुं छुं, जे मार्गे आप निर्वृत थया ते ज मार्गे हुं चाल्यो आवुं छुं. हे पूर्ण पुरुषार्थना स्वामी, भगवान!
आपना दिव्य उपदेशनी कोई अद्भुत बलिहारी छे. आपनो उपदेश जीवोने पराश्रयथी छोडावीने मोक्षमार्गमां
लगाडनारो छे. आपना चरणकमळमां हुं नमस्कार करुं छुं. कई रीते नमुं छुं? –आपना उपदेशने पामीने, आपे
उपदेशेला स्वाश्रित विधिने अंगीकार करीने हुं आपना पंथे चाल्यो आवुं छुं. अहीं एक ज प्रकारना विधिवडे
मोक्षनो उपाय बताव्यो. बीजा कोई विधिथी मोक्षनो उपाय छे नहि. मूढ अज्ञानी लोको तो आवी मान्यताने
एकांतिक मान्यता माने छे केम के तेमने स्वाश्रय मार्गनुं भान नथी. ज्ञानीओ तो कहे छे के आवा
गुण–पर्यायने ओळखीने, क्रमबद्ध आत्म पर्यायने जाणीने, अभेद स्वरूपनी प्रतीति अने स्थिरता करीने,
सम्यग्दर्शन–ज्ञान चारित्ररूप निर्मळ दशा प्रगट करी अने अरिहंत दशा पाम्या, तथा जगतने ते ज उपदेश करीने
सिद्धदशा पाम्या, तेम अमे पण आपनो स्वाश्रयनो उपदेश सांभळीने, ए ज रीते स्वाश्रय वडे सम्यक्–श्रद्धा–
ज्ञान–चारित्र प्रगट करीने मुक्त थईशुं. ए माटे हे प्रभो! आपने नमस्कार हो.
पाछुं फरीने विकार रहित स्वभाव तरफ नम्युं छे. अरिहंतोनी जेम मारा आत्मस्वभावमां भव नथी–विकार
अरिहंत भगवाननो निर्णय कर्यो तेणे पोताना एकावतारीपणानो निर्णय कर्यो छे. अहीं आचार्यदेव कहे छे के,
अरिहंत भगवंतो आ ज विधिवडे पूर्णदशा पाम्या छे, अमे पण आ ज विधिवडे पूर्णदशा पामीए छीए, अने
तमे पण आ ज विधिने जाणवाथी पूर्णदशा पामशो. आ विधिमां कदी पण फेरफार थवानो नथी.
रागादिना आश्रये केवळज्ञान थयुं नथी. तुं पण तारा स्वभावना आश्रये ज्ञाता रहे तो तने केवळज्ञान थाय. जे
जाण अने स्वाश्रय कर, तो तुं केवळी थईश.
भगवाने भविष्यना मंद पुरुषार्थी जीवोने माटे जुदो मार्ग–सहेलो मार्ग–बताव्यो एम नथी. तेमज,