स्वाश्रय ए एक ज मोक्षमार्ग छे. पहेलांं श्रद्धामां स्वाश्रय अने पछी स्थिरतामां स्वाश्रय थाय छे. पराश्रय ते
बंधमार्ग ज छे, ने स्वाश्रय ते ज मोक्षमार्ग छे. “एक ज मार्ग छे” ए ज सम्यक् एकांत छे. एक ज मार्ग छे–ए
सिवाय बीजो कोई मार्ग नथी एनुं नाम अनेकांत छे. पण स्वाश्रयथी पण मोक्ष थाय अने पराश्रय–व्यवहारथी
पण मोक्ष थाय–एम मानवुं ते मिथ्यात्व छे–एकांत छे.
राग–रहित स्वभावने स्वीकार्यो त्यारे स्वभावनी प्राप्ति थई, श्रद्धामां रागरहित थई गयो, स्वाश्रयभाव प्रगट
थयो. आवडा मोटा (भगवान जेवडा) रागरहित परिपूर्ण स्वभावनो जेणे पोताना ज्ञानमां निर्णय कर्यो तेणे
एकला आत्माना आश्रयनो स्वीकार कर्यो अने समस्त परद्रव्य तेम ज परभावोना आश्रयनी मान्यता छोडी
तेने अनंत पुरुषार्थ प्रगट्यो छे, ए जीव तीर्थंकरोना पंथे चालवा मांडयो छे.
आचार्यदेव कहे छे के भाई, तीर्थंकरोए स्वाश्रयनो उपदेश कर्यो हतो; अत्यारे पण स्वाश्रय थई करे छे. तीर्थंकरो
कांई एम कहेता नहोता के ‘तुं अमारो आश्रय कर’ तीर्थंकरो तो एम कहेता हता के तुं तारा स्वभावनो निर्णय
करीने तारो ज आश्रय कर. अत्यारे पण स्वभावनो निर्णय करीने–स्वाश्रयभाव प्रगट करीने तीर्थंकरोना पंथे
विचरी शकाय छे. पंचमकाळना आचार्यदेव पंचमकाळना जीवोने ज उपदेश करे छे के हे जीव! जेवो अनंत
केवळीओनो आत्मा छे, तेवो ज तारो आत्मा छे, अनंत केवळीओए जेवो पोताना स्वभावनो निर्णय कर्यो
अने स्वाश्रय प्रगट करीने मुक्ति पाम्या तेम तुं पण तारा स्वभावनो तेवो ज निर्णय वर्तमानमां प्रगट कर
विधि जगतने कह्यो छे. तमे पण आ ज विधिने अंगीकार करो. आ ज विधि करो एटले के निश्चय–स्वभावनो
आश्रय करो अने बीजो विधि न करो एटले के व्यवहारभावोनो आश्रय छोडो. देव–गुरु–शास्त्र वगेरे निमित्त
चैतन्यस्वरूपना आश्रयनो निर्णय करीने सर्व व्यवहारनो निषेध करो, अने पछी ए ज स्वरूपना आश्रये संपूर्ण
शुद्धोपयोग प्रगट करीने तीर्थंकर भगवंतोनी जेम संपूर्ण ज्ञाताद्रष्टा थाओ.
तीर्थंकरोना स्वाश्रितपंथने नमस्कार
तीर्थंकरोना पंथ दर्शावनारा संतोने नमस्कार
उपदेश करे छे, तेओ मूळ आप्त छे.