स्वभावना महिमा तरफ ज अमे वळीए छीए. स्वभावना आश्रये धर्मनी वृद्धि ज छे. जे दशा आपे प्रगट करी
तेने अमे नमस्कार करीने रागरहित चैतन्यस्वभावनो ज आश्रय अने विनय करीए छीए, विकल्पनो आश्रय
के आदर करता नथी. हे नाथ जिनेश! तमारो उपदेश सांभळीने अमने स्वभाव अने परभावनुं भेदज्ञान थयुं–
अमने निश्चय स्वाश्रय रागरहित स्वभाव मळ्यो तेथी अमे आपने नमस्कार करीए छीए–आपे दर्शावेला मार्गे
आवीए छीए.
ते जीव अनंत तीर्थंकरोना मार्गने उल्लंघनारो छे. सर्वे तीर्थंकरो स्वाश्रयभावथी ज कर्मोनो नाश करीने केवळी
थया छे अने पछी तेओए उपदेश पण एम ज कर्यो छे के स्वाश्रयभाव ते धर्म छे ने पराश्रयभाव ते अधर्म छे.
पुण्य पण पराश्रयभाव छे, तेमां धर्म नथी. आम होवा छतां, जे जीव स्वाश्रयने अंगीकार करतो नथी ने
पुण्यादिथी धर्म माने छे ते जीव अनंत तीर्थंकरोना उपदेशने मानतो नथी, ते अनंत तीर्थंकरोनो वेरी महा
मिथ्याद्रष्टि छे. निर्मळ सम्यग्दर्शन प्रगट करवुं होय तो ते आत्माना आधारे प्रगटे छे, कोई परना आश्रये
प्रगटतुं नथी. आम समजीने जे जीव स्वाश्रय करे ते ज जीव तीर्थंकरोना पंथे चालनार छे.
भविष्यकाळे के आ (वर्तमान) काळे अन्य मुमुक्षुओने पण ए ज प्रकारे तेनो (कर्मक्षयनो) उपदेश करीने,
निःश्रेयसने प्राप्त थया छे; माटे निर्वाणनो अन्य (कोई) मार्ग नथी एम नक्की थाय छे. अथवा, प्रलापथी बस
थाओ; मारी मति व्यवस्थित थई छे. भगवंतोने नमस्कार हो.”
तीर्थंकरो थता आवे छे ने तेमना निमित्ते स्वभाव समजीने मोक्षमां जनार जीवो पण क्रमे क्रमे थता ज आवे छे.
तीर्थंकरोनो अने मोक्ष जनारा जीवोनो कदी सर्वथा अभाव थतो नथी. ए रीते धर्मनो अच्छिन्न प्रवाह अनादि
अनंत छे.
होय छे. बधाय तीर्थंकरोए कहेलो मोक्षनो एक ज विधि
जुदो विधि कर्यो हतो–एम नथी, केम के मोक्षनो विधि बे प्रकारनो नथी, एक ज प्रकारनो छे. अत्यार सुधी
जेटला तीर्थंकर भगवंतो थई गया ते बधाये शुं विधि कर्यो हतो अने शुं उपदेश कर्यो हतो? ते आचार्यदेवे ८०
अने ८१ मी गाथामां बताव्युं. श्री आचार्यदेव पोते स्वाश्रयभावनी निःशंकताथी सर्वे तीर्थंकरोनी साक्षी आपे छे
के, मोक्षनो जे उपाय में वर्णव्यो ते ज उपाय सर्वे तीर्थंकरोए कर्यो छे अने ते ज उपाय सर्वे तीर्थंकरोए उपदेश्यो
छे. हुं कांई नवो उपाय कहेतो नथी, पूर्वे अनंता तीर्थंकरोए जे उपाय कर्यो अने समवसरणमां जे उपाय कही
गया, ते ज हुं कहुं छुं.
अन्य प्रकारे मोहनो क्षय थतो नथी. अनंत तीर्थंकरोए कर्मनो नाश एक ज प्रकारथी कर्यो छे.