भरेलो छे. गुजराती भाषामां अक्षरश: अनुवाद सहित आ परमागमशास्त्र पहेली ज वार प्रसिद्ध थाय छे.
तेमां मंगळाचरणरूपे मारी सन्मुख सर्वे तीर्थंकर भगवंतोनी हार बेसाडीने एकेकना चरणे नमस्कार करुं छे.
लीन थई जता होय!
प्रकारे उपदेश करीने मोक्ष पाम्या छे. अहो, ते अर्हंत भगवंतोने नमस्कार हो.
छे. जेनाथी सीधी शीवप्राप्ति थाय एवा शुद्धोपयोग माटे आचार्यदेवनी झंखना छे ते आ शास्त्रमां जणाई
आवे छे. वर्तमान वर्तती सराग चारित्र–दशानो निषेध करीने–तेने दूरथी ज ओळंगी जवानी प्रतिज्ञा करीने,
ज्ञायक भावमां डूबकी मारीने सदाय तेमां ज समाई रहीने आत्मा संपूर्ण शुद्धोपयोगरूपे परिणमी जाय एवी
अंतर भावनाने घूंटी छे.
आ टीका करवामां आवे छे. परमानंदना पिपासु जीवो आ काळे छे ने तेओ परमानंदने प्राप्त करवाना छे.
वर्तमानमां वर्ते छे, परंतु हजी सरागचारित्रदशा पण वर्ते छे, संपूर्ण शुद्धोपयोगरूपे परिणमन थतुं नथी तेथी
संपूर्ण शुद्धोपयोगरूप साम्यभावने प्राप्त करवानी झंखना छे; ते माटे शरूआतमां ज प्रतिज्ञा करतां कहे छे के हे
नाथ! पंच परमेष्ठी भगवंतो! आपने निर्मळदशा प्रगट थई छे ते माटे हुं आपने नमस्कार करुं छुं. बधाय
भगवंतोने प्रत्यक्षरूप करीने सर्वेने एक साथे नमस्कार करुं छुं तेमज दरेकने प्रत्येक प्रत्येकने नमस्कार करुं छुं.
अने ए रीते नमस्कार करीने हुं वीतरागी चारित्रने अंगीकार करुं छुं–आत्माना शुद्धोपयोगमां लीन थाउं छुं.
बंधनुं कारण छे ने वीतरागचारित्र मोक्षनुं कारण छे. वीतरागचारित्र ते शुद्धोपयोग छे. शुद्धोपयोग वखते
शुभ–अशुभ उपयोग होता नथी. आत्मा ते ते समयना पोताना उपयोग–परिणमनथी टके छे. जे वखते जे
परिणाम थाय छे ते वखते ते परिणाम रूपे आत्मा थाय छे. परिणाम रूपे त्रिकाळी वस्तु परिणमे छे. परिणाम
साथे ज परिणामी अभेद छे, परिणामनी एकता परिणामी द्रव्य साथे छे, कोई बीजा साथे तेने संबंध नथी.
आम जाणीने पोताना त्रिकाळी परिणामीस्वभावनो आश्रय करीने जीव परिणमे तो स्वभावना आश्रये
परिणमतां परिणमतां ते परमात्मा थाय छे.