: ७८ : आत्मधर्म : पोष–माह : २४७५ :
एटले ईश्वर संपूर्ण सुखी, संपूर्ण ज्ञानी ने राग–द्वेष–रहित छे. आवा स्वरूपे ईश्वरने न मानवा ते नास्तिकपणुं छे.
‘मने ईश्वरे बनाव्यो’ एम माननार नास्तिक छे. केमके ‘ईश्वरे मने बनाव्यो’ एनो अर्थ एम थयो के
‘पहेलां हुं न हतो’ एटले के पहेलां मारी नास्ति हती. आम पोतानी ज हयातीनो अस्वीकार ते नास्तिकपणुं छे.
आ जगतमां जेटला पदार्थो छे ते बधा य स्वभावथी ज सत् छे.
प्रश्न:– ईश्वर तो संपूर्ण शुद्ध वीतराग छे, तेथी तेओ तो परनुं कांई न करे, परंतु छद्मस्थ रागी जीवो तो
परनुं कांई करे ने?
उत्तर:– रागी जीव पण परनुं कांई करी शकतो नथी. जेवो एक जीवनो स्वभाव तेवो बधाय जीवनो
स्वभाव जेवो ईश्वरनो स्वभाव तेवो बधा य जीवनो स्वभाव; जेम ईश्वर परनुं कांई करी शकता नथी पण जाणे
ज छे तेम आ विश्वना बधाय जीवो परनुं कांई करी शकता नथी, परने तो मात्र जाणे ज छे. जाणती वखते जे
राग–द्वेषादि करे छे ते जीवनो दोष छे; खरेखर तो ते रागने पण जाणवानो जीवनो स्वभाव छे. आ प्रमाणे
ईश्वरना यथार्थ स्वरूपने ओळखीने, ईश्वरनी जेम पोताना आत्माने पण ज्ञानस्वभावे अने परना
अकर्तास्वभावे ओळखे तो जीवने स्व–परनुं भेदज्ञान थाय. अने ए भेदज्ञानना बळथी राग–द्वेषनो संपूर्ण नाश
करीने अने पोताना ज्ञानने संपूर्ण खीलवीने जीव पोते ज ईश्वर थाय. आ रीते, ईश्वरनी अने आत्माना स्वरूपनी
यथार्थ आस्तिकयतानुं फळ साचुं ईश्वरपणुं छे.
जेओ ईश्वरने परना कर्ता के रागी माने छे तेओ चोक्कस पोताने पण परना कर्ता अने रागी माने छे,
एटले तेओ परना कर्तृत्वना अहंकारमां अटकी रहे छे, अने परना कर्तापणाना अहंकारथी रहित पोतानो मात्र
ज्ञानस्वभाव छे तेने मानता नथी. ज्ञानस्वभावी आत्माना अस्तित्वनो अस्वीकार ते परमार्थे नास्तिकपणुं छे.
अने, आ जगतनी पर वस्तुनो बधी स्वतंत्र छे, सौ पोतपोताथी ज स्वतंत्रपणे टकनार छे, दरेक पदार्थ
पोताना स्वरूपना स्वतंत्र अस्तित्वरूपे टकीने पोतानुं काम पोते ज करे छे, छतां तेमना स्वतंत्र अस्तित्वने न
मानवुं, अने ईश्वर तेना कर्ता छे के हुं तेनो कर्ता छुं–एम मानवुं ते पण नास्तिकपणुं छे.
वस्तुनो स्वभाव ज एवो छे के एक वस्तुनुं बीजी वस्तुमां अकर्तापणुं ज छे. दरेक वस्तु पोताना स्वरूपथी
अस्तित्वरूप छे अने बीजाथी ते नास्तित्वरूप छे. एटले के दरेक पदार्थो संपूर्णपणे जुदा जुदा छे. आम होवाथी एक
पदार्थ बीजा पदार्थनो अकर्ता ज छे. जेम सर्वज्ञ ईश्वर परमां अकर्ता छे तेम जगतना बधाय जीवो परमां अकर्ता
छे. आवो स्वतंत्रवाद जगतना पदार्थोमां प्रवर्ती रह्यो छे. विश्वना बधा पदार्थोना स्वतंत्र अस्तित्वने जाणवुं ते ज
आस्तिकपणुं छे.
प्रश्न:– बधा थईने एक ज आत्मा छे अर्थात् बधा आत्मा एक ईश्वरना ज अंश छे–एम मानवुं ते
आस्तिकपणुं छे के नास्तिकपणुं छे?
उत्तर:– ते मान्यता नास्तिकपणारूप छे.
प्रश्न:– तेमां आत्माना अस्तित्वने तो मान्युं छे, छतां ते नास्तिक केम छे?
उत्तर:– खरी रीते तेमां आत्मानुं यथार्थस्वरूपे अस्तित्व मान्युं नथी. आ जगतमां अनंत–अनंत
आत्माओ छे, ने ते दरेक आत्मा पोते परिपूर्ण अखंड छे. आम होवा छतां, बधा थईने एक ज आत्मा छे एम
जेणे मान्युं तेणे कोई पण आत्माना स्वतंत्र अस्तित्वने मान्युं नहि, अनंत परिपूर्ण आत्माओ छे तेमने मान्या
नहि, एकेक आत्मा पूर्ण छे तेने अनंतमा भागे मान्यो, –ए रीते ते नास्तिक ज ठरे छे. आ जगतमां दरेके दरेक
जीव अने दरेके दरेक जड वस्तुओ स्वतंत्र छे, दरेक वस्तु पोताथी ज परिपूर्ण अस्तित्व धरावे छे, कोई पण वस्तु
बीजी वस्तुओना आधारथी नभती नथी–आम जाणवुं–मानवुं ते ज साचुं अस्तिक्यपणुं छे. एवा आस्तिकने ज
धर्म अने मुक्ति थाय छे.
खरेखर तो, जे रीते पोताना परिपूर्ण शुद्धात्म–स्वरूपनुं अस्तित्व छे ते ज रीते जाणीने जे स्वीकारे ते ज
साचा आस्तिक छे. भेदज्ञानवडे शुद्धात्माना स्वरूपने जे जाणे नहि ते जरूर बीजे क्यांक आत्मानुं अस्तित्व माने.
आत्माना अस्तित्वने जाणे नहि ने बीजी रीते अस्तित्व माने तो ते पण नास्तिकपणुं छे. आत्माना यथार्थ
स्वरूपने सम्यग्द्रष्टि–ज्ञानीओ ज जाणे छे तेथी तेओ ज साचा आस्तिक छे. मिथ्याद्रष्टि जीवो आत्माना स्वरूपने
साची रीते जाणता नथी तेथी तेओ परमार्थे नास्तिक छे.
जड पदार्थोनां काम आत्मा करी शके एम जे माने छे ते जडथी जुदुं आत्मानुं अस्तित्व मानतो नथी तेथी
नास्तिक छे.
राग थाय तेने ज पोतानुं स्वरूप माने, पण रागथी जुदुं शुद्धचैतन्यस्वरूप छे तेने न जाणे तो ते पण
आत्माना साचा अस्तित्वने नहि जाणनार नास्तिक छे, जैन नथी.