अने जे राग रह्यो ते मारुं स्वरूप नथी. राग घटाडीने राग वगर रहेनार पोते कोण छे तेना भान वगर राग
खरेखर टळे नहि. राग घटाडनारो पोते राग रहित छे; जो पोते राग वगरनो न होय तो राग घटाडी शके नहि.
राग वगरनो पोते केवो छे तेनुं भान करे तो तेने लक्ष्मी आवी के गई तेनुं लक्ष रहेतुं नथी, अने राग घट्यो
तेनो हुं कर्ता–एम माने ते पण अज्ञानी छे. केम के जो पोते पोताने विकारनो ज कर्ता माने तो विकार रहित जे
त्रिकाळ स्वभाव छे तेने मान्यो नहि; ज्ञानीने पुण्य––पाप विकारभाव थाय तेना ते ज्ञाता रहे छे, कर्ता थता
नथी. हुं शरीर–मन–वाणीथी जुदो, ने अंदर पुण्य पाप थाय तेनो य जाणनार छुं–एम अंदरनी एकाग्रताथी
ज्ञाननी जे निर्मळदशा थई ते कर्म अने आत्मा तेनो कर्ता छे. जुदा पदार्थोनुं काम माराथी थाय एम मानवुं ते
अज्ञान छे. अने विकारने ज कर्तव्य माने तो तेनो नाश क्यारे करे? अज्ञानीनुं कर्म पुण्य–पाप छे. ज्ञानीनुं कर्म
तो ज्ञान ज छे. कर्ता एटले थनारो अने कर्म एटले जे कार्य थयुं ते. आत्मा जाणवाना कार्य रूपे परिणम्यो, त्यां
अधर्म छे. अने जडनो कर्ता तो कोई आत्मा नथी. कर्ता कर्म भिन्न वस्तुमां नथी पण एक वस्तुमां ज छे.
शरीरनी क्रियाने अने पुण्यने धर्मनुं साधन माने छे, पण ते आत्मानी निर्मळ दशा ज धर्मनुं साधन छे. हुं
निर्मळ चैतन्य प्रकाश छुं–एवी प्रतीति करी ते ज धर्म (निर्मळदशा) छे.
ज प्रथम धर्म छे, ए सिवाय राग घटाडे तो पुण्य थाय, अने तेने पोतानुं स्वरूप माने तो जीवने मिथ्यात्वनुं
मोटुं पाप लागे; ‘एटले मींदडुं काढतां ऊंटडुं पेठुं’ एना जेवुं थयुं. एक डोशीना फळियामां मीदडुं मरी गयुं. भंगी
पासे ते कढावतां तेने बे पाली जुवार आपवी पडशे एवा लोभे पोते जाते नाखवा गई, पण त्यां पाछळ झांपो
उघाडो रही गयो ने अंदर मांदुं ऊंट पेसीने मरी गयुं! ते कढावतां बे त्रण मण जार आपवी पडी. जुओ मींदडुं
काढतां ऊंटडुं पेठुं” तेम ज्यां दानादिनो राग करीने पुण्य करवा गयो त्यां “पुण्यने पोतानुं स्वरूप मान्युं” एटले
ज्ञानरूपी झांपो उघाडो रही गयो ने मिथ्यात्वनुं मोटुं पाप पेठुं.
राग नथी, रागने कारणे प्रतिमा आवती नथी, ने ते शुभरागथी धर्म थतो नथी, छतां नीचली दशामां धर्मीने
प्रतिमानो शुभराग थया वगर रहेतो नथी. आवी जेम छे तेम साची समजण करवी ते सद्बोधरूपी चंद्रमा छे,
एवी साची समजण करे तेने जन्म मरण रहित परमात्मदशा प्रगट्या वगर रहे नहि.
“३१०१ किसनगढना शेठ नेमिचंदजी पाटणीना मातुश्री तरफथी.
(प्रतिष्ठा उत्सवमां पोताना सुपुत्र ईन्द्र थया हता तेनी खुशालीमां).