Atmadharma magazine - Ank 072
(Year 6 - Vir Nirvana Samvat 2475, A.D. 1949)
(Devanagari transliteration).

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: आसो : २४७५ : आत्मधर्म : २१७ :
अनुसंधान टाईटल पान – २ परथी चालु
३ सम्यग्दशन
आ पुस्तकमां सम्यग्दर्शन संबंधी, पू. गुरुदेवश्रीनां
सुंदर प्रवचनो वगेरेनो संग्रह छे. विधविध प्रकारनां
लगभग ५० लेखो छे. जिज्ञासु वांचकोने आ पुस्तक खास
अभ्यास करवा जेवुं छे. पृ. २४० लगभग. पाकुं पूठुं, छूटक
नकलनी किंमत लगभग १–४–० थशे.
माटे आत्मधर्मना सर्वे ग्राहको अने वांचकोने खास भलामण छे के तेओ पोतानुं नवा वर्षनुं लवाजम
कारतक सुद पूर्णिमा सुधीमां मळी जाय ते रीते मोकलावी आपे.
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट आत्मधर्म कार्यालय
सोनगढ (सौराष्ट्र) मोटाआंकडिया (सौराष्ट्र)
नियमसार – प्रवचनो
भगवान श्री कुंदकुंदाचार्य देव रचित श्री नियमसार–
परमागमना पहेला अधिकार उपरना पू. सद्गुरुदेवश्री कानजी
स्वामीना खास आध्यात्मिक विशिष्टताओथी भरपूर प्रवचनो आ
पुस्तकमां छपाया छे. दरेक जिज्ञासु जीवोए आ पुस्तक खूब मंथन
करवा योग्य छे. आ प्रवचनोमां पाने पाने आत्माना परिपूर्ण
स्वाधीन स्वभावनुं अचिंत्य माहात्म्य झळके छे. परिपूर्ण आत्मिक
स्वभावनां गाणां गातुं अने तेनी स्वतंत्रतानो मार्ग दर्शावतुं आ
शास्त्र आत्माना साचा स्वराज्यनुं स्वरूप जाहेर करे छे.
ज्यारे आ पुस्तक प्रसिद्ध थयुं त्यारे एक जिज्ञासु भाईए तेनी
एक नकलनी किंमत तरीके रू।। ५०१– श्री जैन स्वाध्याय मंदिर
ट्रस्टने आप्यां हतां. पृ. ३२०, पाकुं पूठुं. किंमत मात्र १–८–० छे.
– प्राप्तिस्थान –
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ